थर्मल क्लोदिंग टेक्निक के बाद अब सेना को जम्मू कश्मीर के केरन में मिली 'मास्टर सीढ़ी,' घुसपैठ के लिए आती थी काम
सेना और सुरक्षाबलों को नॉर्थ कश्मीर के कुपवाड़ा के केरन सेक्टर से एक ऐसी सीढ़ी मिली है जिसका प्रयोग आतंकी घुसपैठ के लिए करने वाले थे। इस सीढ़ी के मिलने के साथ ही सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया है। जब सुरक्षाबलों ने आतंकियों पर फायरिंग की तो वह वहां से भाग खड़े हुए।
कुपवाड़ा। सेना और सुरक्षाबलों को नॉर्थ कश्मीर के कुपवाड़ा के केरन सेक्टर से एक ऐसी सीढ़ी मिली है जिसका प्रयोग आतंकी घुसपैठ के लिए करने वाले थे। इस सीढ़ी के मिलने के साथ ही सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया है। जब सुरक्षाबलों ने आतंकियों पर फायरिंग की तो वह वहां से भाग खड़े हुए। इस सीढ़ी के साथ एक और सुबूत इस बात का मिल गया है कि कैसे पाकिस्तान के आतंकी सुरक्षाबलों को निशाना बनाने और घुसपैठ के लिए नई तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं। इस 'मास्टर सीढ़ी' का प्रयोग आतंकी बॉर्डर को पार करने के लिए करते थे।
थर्मल क्लोदिंग टेक्निक का प्रयोग
एक सीनियर आर्मी ऑफिसर की ओर से बताया गया कि जवान एलओसी के नजदीक गोगलेदार इलाके में मुस्तैद थे तभी उन्हें कुछ आतंकियों की गतिविधियां नजर आईं। ये आतंकी तड़के सीमा पार करने की फिराक में थे। हाल ही में बीएसएफ की ओर से करीब एक मिनट का वीडियो और एक एडवाइजरी जारी की गई है। इस एडवाइजरी में कहा गया है कि एचएचटीआई यानी हैंड हेल्थ थर्मल इमेजर की रिकॉर्डिंग की एनालिसिस करने से पाकिस्तान की तरफ से उसे एक नई चाल के बारे में मालूम चला है। बीएसएफ के मुताबिक उसके जवान सीतराम उपाध्याय की शहादत के बाद इस रिकॉर्डिंग को ध्यान से देखा गया था। रिकॉर्डिंग में साफ नजर आया है कि कैसे पाकिस्तान की तरफ एक खास तरह के थर्मल कैमेफ्लाज क्लोदिंग का प्रयोग करके बार्डर के करीब रेंजर्स और सैनिक अपनी गतिविधियों को छिपा रहे हैं। साफ है कि सीमा के उस पार बैठे आतंकी अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए थर्मल क्लोदिंग से लेकर सीढ़ी का प्रयोग करने तक से नहीं हिचक रहे हैं।
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