लद्दाख में भारतीय सेना ने चीन की चतुराई की हवा निकाली, टनेल चक्रव्यूह में उलझाया
नई दिल्ली- पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की महत्वपूर्ण चोटियों पर भारतीय सेना ने जब से अपनी पकड़ मजबूत की है, चीन की सेना प्रोपेगेंडा में लगी हुई है। उसे महीनों बाद भी नहीं सूझ पा रहा है कि भारत के आक्रामक तेवर की क्या तोड़ निकाले। इसलिए, उसकी प्रोपेगेंडा मीडिया कभी माइक्रोवेव स्ट्राइक जैसी हवाबाजी करता है तो कभी गीदड़भभकी देकर काम चलाता है। लेकिन, भारत ने अब उसको उसी की रणनीति से मात देना सीख लिया है। भारतीय सेना ने अब चीन की जंग कै मैनुअल निकालकर ड्रैगन की किसी भी अगली चाल की धार कुंद करने के लिए लद्दाख में 'टनेल डिफेंस' तैनात कर ली है।
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लद्दाख
में
सेना
ने
जमीन
के
अंदर
बनाई
कंक्रीट
पाइप
सुरंगें
29-30
अगस्त
को
भारतीय
सेना
की
स्पेशल
फ्रंटियर
फोर्स
ने
जब
से
कैलाश
रेंज
में
पैंगोंग
झील
के
दक्षिणी
किनारे
की
सामरिक
चोटियों
पर
1962
के
बाद
पहली
बार
पोजीशन
ली
है,
पीएलए
बौखलाई
हुई
है।
वह
लद्दाख
को
लेकर
फर्जी
खबरें
फैलाकर
अपनी
किरकिरी
कम
करने
में
लगा
हुआ
है।
हिंदुस्तान
टाइम्स
की
एक
खबर
के
मुताबिक
इस
दौरान
भारतीय
सेना
ने
इलाके
में
ऐसी
ह्युम
रीइंफोर्स्ड
कंक्रीट
पाइप
(Hume
reinforced
concrete
pipes)
की
सुरंगें
बिछा
दी
हैं
कि
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
को
भनक
तक
नहीं
लगी
होगी।
भारतीय
सेना
के
सीनियर
कमांडरों
ने
बताया
है
कि
बड़े
डायमीटर
वाली
इस
सीमेंट
की
पाइप
वाली
सुरंगों
में
दुश्मन
के
हमलों
से
बचने
के
लिए
जवान
शेल्टर
ले
सकते
हैं
और
फिर
वहीं
से
वापस
उसपर
हमला
भी
बोल
सकते
हैं।
जमीन
के
नीचे
डाली
गई
इन
6
से
8
फीट
डायमीटर
वाली
कंक्रीट
पाइपों
के
जरिए
सेना
आसानी
से
स्थान
बदल
सकती
है
और
दुश्मनों
के
हमलों
से
सुरक्षित
रह
सकती
है।
कम
तापमान
में
जवानों
के
लिए
रक्षा
कवच
इन
कंक्रीट
पाइप
सुरंगों
का
लाभ
यह
भी
है
कि
इसे
सैनिकों
के
लिए
गर्म
भी
किया
जा
सकता
है,
जिससे
कि
शून्य
से
कई
डिग्री
कम
तापमान
का
भी
वह
आसानी
से
मुकाबला
कर
सकते
हैं।
गौरतलब
है
कि
चीन
ने
दूसरे
चीन-जापान
युद्ध
में
ऐसी
ही
सुरंगों
का
सफलतापूर्वक
इस्तेमाल
किया
था।
इसका
इस्तेमाल
वियतनाम
युद्ध
में
वियतकॉन्ग
गुरिल्लाओं
ने
अमेरिका
के
खिलाफ
और
1960
के
कोरियाई
युद्ध
में
उत्तर
कोरिया
ने
भी
किया
था।
चीन
ने
फाइटर
जेट
और
पनडुब्बियों
के
लिए
बनाई
सुरंग
गौरतलब
है
कि
चीन
की
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
ने
तिब्बत
की
राजधानी
ल्हासा
एयरबेस
पर
फाइटर
एयरक्राफ्ट
को
छिपाने
के
लिए
भी
सुरेंगें
बना
रखी
हैं
और
दक्षिण
चीन
सागर
में
हैनान
द्वीप
बनाकर
उसमें
ऐसी
सुरंगें
तैयार
की
हुई
हैं,
जिसमें
वह
न्युक्लियर
बलैस्टिक
मिसाइलों
से
लैस
पनडुब्बियां
छिपाकर
रखता
है।
इस बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच 9वीं दौर की सैन्य बातचीत जल्द होने की उम्मीद है। लेकिन, जब तक कोई हल नहीं निकलता भारतीय सेना चीन की सेना के मंसूबे पर एक क्षण के लिए भरोसा करने को तैयार नहीं है। वह उसकी हर चालबाजी की कमर तोड़ने के लिए अलर्ट पर है। भारत की ओर से चीन को साफ किया जा चुका है कि पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर उसने जो भी गतिविधियां बढ़ाई हैं, उसे वहां मई, 2020 से पहले वाली यथास्थिति बहाल करना होगा। उसके बाद उसने गलवान वैली और गोगरा-हॉट स्प्रिंग इलाकों में भी ऐसी ही कोशिशें की थीं।
भारतीय सेना एलएसी की रक्षा सिर्फ लद्दाख में ही नहीं कर रही है, वह इसके मध्य, सिक्किम और पूर्वी सेक्टर की भी चौकसी कर रही है। क्योंकि, पीएलए तिब्बत में लगातार अपनी सेना के लिए निर्माण का काम जारी रखे हुए है। भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है, 'पीएलए हमेशा मौके के इंतजार में बैठी रहती है। लेकिन, यह आक्रामक रणनीति भारत के साथ सफल नहीं होने वाली।'