देश में रोहिंग्याओं को रोकने के लिए सीमा पर सेना तैनात
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों के घुसपैठ को रोकने के लिए राज्यों को निर्देश जारी कर सेना को तैनात किया जा चुका है। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा को बताया कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और असम राइफल्स को रोहिंग्याओं के घुसपैठ को रोकने के लिए तैनात किया गया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना को उन लोगों पर भी निगरानी करने के लिए के लिए सलाह दी है, जो पहले ही घुसपैठ कर चुके हैं।
राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि राज्यों में घुसपैठ कर चुके लोगों को एक ही जगह पर रहने दें और उन्हें दूसरे जगहों पर फैलने ना दें। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुगाता बोस ने इस मुद्दे को संसद में उठाते हुए कहा कि एक तरफ तो विदेश मंत्रालय बांग्लादेश में 'ऑपरेशन इंसानियत' चला रहा है, वहीं तो दूसरी तरफ देश से रोहिंग्याओं को निर्वासन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बता दें कि बांग्लादेश में रोहिंग्याओं के लिए भारत सरकार ने राहत एवम् कार्य के लिए 'ऑपरेशन इंसानियत' चलाया है।
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बोस ने संसद में कहा कि क्या हम बांग्लादेश में केवल उन लोगों के लिए इंसानियत दिखाएंगे? भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या हैं, जो अलग-अलग स्थानों पर रह रहे हैं। तृणमूल के सदस्य ने यह भी सवाल किया कि क्या देश सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने के लिए तैयार था। उन्होंने कहा कि यह लोगों को शरण देने की भारतीय परंपरा थी।
संसद में बोस की टिप्पणी का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि यह उनका एक दुर्भाग्यपूर्ण बयान है। भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है, जिसने शरणार्थियों के लिए इस तरह के नरम दृष्टिकोण को अपनाया है। रिजीजू ने कहा कि शरणार्थियों को प्राप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संधि में नहीं होने के बावजूद, भारत ने लाखों लोगों को आश्रय दिया है और फिर भी भारत में हजारों शरणार्थी रह रहे हैं। भारत आप्रवासियों के प्रति बहुत नरम रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे नियमित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं होगी।
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