पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने किया युद्धाभ्यास, सीमा पर चीन को जमीन से आसमान तक दिखाई ताकत
लद्दाख: लद्दाख सेक्टर में पिछले दिनों भारत और चीन की सेना के आमने-सामने आने के बाद इंडियन आर्मी ने ऊंचाई वाले क्षेत्र में युद्धाभ्यास किया। इस युद्धाभ्यास की अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने की। भारतीय सेना के तीन अंगों ने लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में जोरदार युद्धाभ्यास कर चीन को अपनी ताकत का अहसास कराया। लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने पूर्वी लद्दाख का दौरा किया और इस युद्धाभ्यास को देखा।
सेना ने किया युद्धाभ्यास
XIV कोर का मुख्यालय लेह में है, जो उत्तरी सेना कमांड के अंतर्गत आता है। इसके पास तीन इन्फैंट्री डिवीजन और 8वीं इन्फैंट्री डिवीजन है। XIV कोर के वर्तमान कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी हैं। उनकी अगुवाई में 13 वीं जम्मू और कश्मीर राइफल्स ने करगिल युद्द के दौरान रणनाीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण टाइगर हिल पर वापस कब्जा किया था। करगिल वार के बाद एक सितंबर 1999 फायर एंड फ्यूरी कोर को लद्दाख में एलएसी की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया, ये चीन की सीमा के पास है।
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बुधवार को फिर भिडे़ भारत-चीन के सैनिक
टाइम्स नाऊ की खबर के मुताबिक बुधवार को भारत और चीन के सैनिक भी पूर्वी लद्दाख में भिड़ गए। । सूत्रों के मुताबिक, भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच काफी देर तक धक्का-मुक्की होती रही। यह घटना 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर हुई, जिसके एक तिहाई हिस्से पर चीन का नियंत्रण है। हालांकि दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बातचीत के बाद स्थिति सामान्य हो गई है। अक्टूबर में भारत में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच होने वासी अनौपचारिक शिखर सम्मेलन से पहले ये घटना हुई।
'भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग पर चीन को आपत्ति'
भारतीय सैनिक पैंगोंग झील पर पट्रोलिंग पर थे और इसी दौरान उनका आमना-सामना चीन के पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के सैनिकों के साथ हो गया। चीनी सैनिकों ने इस इलाके में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी का विरोध किया। मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि इस मामले को जल्द हल कर लिया गया है।
लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने का विरोध
गौरतलब है कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की बीजिंग यात्रा के दौरान, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के फैसले पर आपत्ति जताई थी। चीन का कहना ना कि भारत ने चीन की संप्रभुता को चुनौती दी है और सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों के बीच समझौते का उल्लंघन किया।