आतंकी हमलों में निशाना बनने वाले आर्मी कैंप्स के कमांडर्स की 'छुट्टी' करने के मूड में सरकार!
नई दिल्ली। सरकार ने फैसला किया है कि वे सभी आर्मी कमांडर्स जिनके बेस को आतंकी हमलों में निशाना बनाया गया था, उन्हें सेवा से हटना पड़ेगा। सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर के उरी ब्रिगेड के अलावा सुंजवान मिलिट्री कैंप और नगरोटा आर्मी बेस के कमांडर्स को अलविदा कहना पड़ सकता है। सरकार का मानना है कि इन सभी आर्मी बेस पर आतंकी हमला सुरक्षा में चूक थी और इसके लिए सीनियर ऑफिसर्स जिम्मेदार हैं। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर से यह जानकारी दी गई है।
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कमांडर्स ले लें रिटायरमेंट
सितंबर 2016 में आतंकियों ने उरी आर्मी बेस को निशाना बनाया। उसी वर्ष नवंबर में नगरोटा के आर्मी बेस पर आतंकी हमला हुआ। इसके बाद फरवरी 2018 में जम्मू के सुंजवान मिलिट्री कैंप पर आतंकी हमला हुआ। सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सरकार ने इस बाबत सेना को अपने प्रस्ताव भेज दिए हैं। शुरुआत में सरकार चाहती थी कि कमांडर्स स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले लें। ऑफिसर्स को वे सभी सुविधाएं मिलती रहेंगी, जिनके वे हकदार हैं। एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि सेना को बता दिया गया है कि कमांडर्स को नई सरकार के आने के बाद अपने रिटायरमेंट का ऐलान कर देना चाहिए। दूसरे कार्यकाल में आने के एक माह के अंदर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह फैसला लिया है। वहीं सेना के प्रवक्ता की ओर से इस बात पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया गया है।
तीन हमलों में शहीद 36 सैनिक
उरी, नगरोटा आर्मी बेस और सुंजवान मिलिट्री बेस पर हुए आतंकी हमलों में 36 सैनिक शहीद हो गए थे। जिसमें से सितंबर 2016 में उरी ब्रिगेड पर हुए हमले में ही 19 जवान शहीद हुए। इसके बाद 29 नवंबर 2016 को नगरोटा के आर्मी बेस पर आतंकी हमला हुआ। इस हमले में मेजर अक्षय गिरीश समेत सात सैनिक शहीद हुए। नगरोटा की 14 कोर आर्टिलरी ब्रिगेड को आतंकियों ने निशाना बनाया था। इसके बाद 10 फरवरी 2018 को सुंजवान मिलिट्री कैंप पर हुए आतंकी हमले में 11 जवान शहीद हो गए थे।
उरी के बाद हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक
उरी आतंकी हमले के बाद सेना ने 28 सितंबर को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। इस सर्जिकल स्ट्राइक में सेना ने लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के टेरर कैंप्स को निशाना बनाया था। सेना की ओर से जब उरी आतंकी हमले की जांच की गई तो सुरक्षा में कई खामियां सामने आईं। उदाहरण के लिए सैनिक टेंट्स में थे जबकि उनके लिए सुरक्षित पनाह मौजूद थी। जो बात सबसे अहम है उसके मुताबिक उरी ब्रिगेड के सीनियर नेतृत्व के पास इस बात की सूचना थी कि आतंकी कैंप को निशाना बना सकते हैं।
सेना नहीं चाहती कमांडर्स हों रिटायर
इसी तरह से नगरोटा और सुंजवान आतंकी हमले में भी कमांड और कंट्रोल स्तर पर कई तरह की कमियां पाई गई थीं। उदाहरण के लिए नगरोटा आतंकी हमले में एक आतंकी ने सुरक्षा घेरा तोड़ा था और कैंप में दाखिल हो गया था। सुरक्षा के कई स्तर होने के बाद भी इस बात का पता तक नहीं लग पाया। इसके अलावा मशीन गन से लैस एक सिक्योरिटी पोस्ट से होकर भी आतंकी गुजरे लेकिन इसके बाद भी उन्हें रोका नहीं जा सका। वहीं सेना से जुड़े सूत्रों की मानें तो ऑपरेशनल इश्यूज की वजह से सेना नहीं चाहती है कि कमांडर्स रिटायर हों। साथ ही अगर कमांडर्स रिटायर होते हैं तो फिर आने वाले कमांडर्स के लिए यह एक बुरा उदाहरण होगा।