सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी कहा, कुछ रडार बादलों के आर-पार नहीं देख सकतीं
नई दिल्ली। भारतीय सेना (Indian Army) के प्रमुख (General Bipin Rawat) जनरल बिपिन रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बालाकोट एयर स्ट्राइक पर दिए एक अहम बयान का समर्थन किया है। जनरल रावत ने कहा है कि कुछ रडार ऐसे होते हैं जो बादलों के अंदर तक नहीं देख सकते हैं। उन्होंने बताया कि रडार को ऑपरेट करने की तकनीक की वजह से ऐसा होता है। जनरल रावत शनिवार को केरल के एझिमाला स्थित इंडियन नेवल एकेडमी की पासिंग आउट परेड में बतौर चीफ गेस्ट शिरकत कर रहे थे। यहीं पर मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने यह बयान दिया।
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अलग-अलग तकनीक की रडार
जनरल रावत ने कहा, 'अलग-अलग तकनीक के साथ विभिन्न प्रकार के रडार मौजूद हैं। कुछ रडार में इतनी क्षमता है कि वे बादलों के आर-पार देख सकें तो कुछ में ऐसी क्षमता नहीं है। कुछ रडार बादलों के आर-पार नहीं देख सकते हैं और ऐसा उन्हें ऑपरेट करने के तरीकों की वजह से होता है। कभी हम देख सकते हैं, कभी हम नहीं देख सकते हैं।'
क्या कहा था पीएम मोदी ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावों के दौरान एक इंटरव्यू में बालाकोट एयर स्ट्राइक पर कहा था कि रक्षा विशेषज्ञों की शंकाओं को दूर करने के लिए उन्होंने अपनी बुद्धिमता का प्रयोग किया था। रक्षा विशेषज्ञ खराब मौसम की वजह से एयर स्ट्राइक पर उनसे अलग राय रख रहे थे। पीएम मोदी ने कहा था, 'एयर स्ट्राइक वाले दिन मौसम अच्छा नहीं था। विशेषज्ञों के दिमाग में बार-बार यह विचार आ रहा था कि हमले का दिन बदल देना चाहिए।'
सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
पीएम मोदी ने आगे कहा, 'मैंने उन्हें सलाह दी कि बादल असल में हमारी मदद कर सकते हैं और हमारे जेट्स रडार से बच सकेंगे।' पीएम मोदी की इस बयान के बाद उनकी खासी आलोचना हुई थी। सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के बयान पर कई मीम बने और खूब शेयर किए गए थे। बालाकोट एयर स्ट्राइक 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब थी जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
क्यों हुई थी बालाकोट एयर स्ट्राइक
सेना प्रमुख जनरल रावत ने यह भी कहा कि 26 फरवरी को हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि बॉर्डर के दूसरी तरफ मौजूद आतंकी भारत के खिलाफ किसी बड़ी साजिश को अंजाम न दे सकें। उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियों जैसे एनआईए और ईडी के आपसी सामंजस्य की वजह से कश्मीर घाटी में आतंकियों को मिलने वाले फंड में कमी आ रही है और सेना को आतंकियों को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है।