सेना में महिलाओं को कॉम्बेट रोल देने की बात पर जनरल रावत ने दिया मैटरनिटी लीव का बहाना
नई दिल्ली। भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का मानना है कि सेना में महिलाएं अभी कॉम्बेट रोल के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर महिलाओं को लड़ाकू मिशन के लिए भेजा जाएगा तो वे इस भूमिका को ठीक से निभा नहीं पाएंगी। जनरल रावत ने इसके पीछे तो वजहें बताई हैं उसके मुताबिक महिलाओं पर बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी है। साथ ही अगर उन्हें फ्रंट पर भेजा गया तो फिर जवानों पर आरोप लगने लगेंगे कि कपड़े बदलते समय वे झांकते हैं और उन्हें देखते हैं। जनरल रावत ने यह बात न्यूज चैनल न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में कही है।
मैटरनिटी लीव देने पर होगा हंगामा
इंटरव्यू में जनरल रावत से पूछा गया था कि महिलाएं बहुत अच्छी सैनिक होती हैं लेकिन सेना उन्हें स्वीकार क्यों नहीं कर रही है? इस पर जनरल रावत ने कहा कि यह गलत धारणा है। फिर उनसे इसी इंटरव्यू में पूछा गया कि मिलिट्री पुलिस में उन्हें शामिल नहीं किया जाता और न ही किसी महिला को कॉम्बेट रोल दिया गया है ? इस पर उन्होंने जवाब दिया , 'सेना में महिलाएं एक इंजीनियर के तौर पर ऑफिसर हैं। वे माइनिंग जैसे कामों को अंजाम दे रही हैं। एयर डिफेंस में भी उनकी भूमिका काफी अहम है। लेकिन हम उन्हें बॉर्डर पर रोल नहीं दे सकते हैं क्योंकि हम अभी कश्मीर जैसी जगहों पर प्रॉक्सी वॉर का सामना कर रहे हैं। जनरल रावत ने इसके साथ ही कहा कि लेडी ऑफिसर के कमांडिंग टेन्योर के समय उसे छह माह की मैटरनिटी लीव देने पर काफी हंगामा हो सकता है।
शहीद होने के बाद बच्चों का क्या होगा
जनरल रावत ने आगे कहा कि कंपनी में सिर्फ एक ऑफिसर है और वह भी महिला है और आप कल्पना करिए कि आपको किसी ऑपरेशन के लिए जाना पड़ता है। सभी लोग तैयार हैं कंपनी कमांडर को लीड करना है। ऑपरेशन में आपको आतंकियों का सामना करना पड़ेगा। फायरिंग होगी और इसमें कमांडिग ऑफिसर शहीद हो जाता है और किसी लेडी ऑफिसर को भी अपनी जान गंवानी पड़ सकती है। जनरल रावत ने कहा कि अगर किसी लेडी ऑफिसर की सर्विस सात से आठ वर्ष तक की है और उसके दो बच्चे हैं। जनरल रावत ने सवालिया अंदाज में पूछा कि इन स्थितियों में क्या कोई लेडी ऑफिसर इस रोल के तैयार है? जनरल रावत के मुताबिक किसी महिला की मौत रोड एक्सीडेंट में भी हो सकती है लेकिन युद्ध के समय जब बॉडी बैग्स में सैनिक का शव आता है तो उन हालातों का सामना करने के लिए हमारा देश अभी तैयार नहीं है।
सेना लेडी ऑफिसर्स के लिए तैयार नहीं है
इसी सवाल के जवाब में जनरल रावत ने कहा कि अगर सिर्फ एक ही महिला ऑफिसर है और आसपास सारे जवान है तो बतौर कमांडर उसे हर काम करना पड़ेगा। उसे ऑपरेशंस में जाना पड़ेगा। लेकिन आज के समय भी हम ऐसी स्थितियों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि बहुत से जवान गांवों से आते हैं। जनरल रावत ने कहा कि अभी देश में पश्चिमी देशों की तरह वह सिस्टम नहीं है जहां पर महिलाओं को बतौर ऑफिसर स्वीकार किया जाए। अगर एक लेडी ऑफिसर है और उस लेडी ऑफिसर के लिए अलग से इंतजाम करने पड़ेंगे। वह कह सकती है कि कपड़े बदलते समय उसे कोई देख रहा था। ऐसी स्थितियां काफी मुश्किल हो जाएंगी। जनरल रावत ने कहा कि एक व्यक्ति के तौर पर वह महिलाओं के कॉम्बेट रोल के लिए रेडी हैं लेकिन सेना अभी तैयार नहीं है।