लद्दाख में चीन को जवाब देने के लिए तैयार हो रहा है राफेल, हिमाचल की मुश्किल पहाड़ियों में भर रहा उड़ान
नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के लिए 29 जुलाई को पांच राफेल फाइटर जेट्स फ्रांस से अंबाला पहुंचे हैं। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि इन जेट्स ने हिमाचल प्रदेश में अभ्यास शुरू कर दिया है। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। पांच राफेल जेट का पहला बैच अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में 17 ग्लोडन एरो स्क्वाड्रन का हिस्सा बनें हैं। आईएएफ को साल 2021 तक सभी 31 राफेल जेट्स मिल जाएंगे। अंबाला के अलावा इन जेट्स को पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में भी तैनात किए जाएंगे।
यह भी पढ़ें-सर्दियों में भारत-चीन टकराव ले सकता है नया मोड़!
Recommended Video
हिमाचल से भी गुजरती है LAC
सूत्रों के मुताबिक मीटियोर बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल के अलावा स्कैल्प एयर-टू-ग्राउंड सिस्ट से लैस पांच राफेल जेट इस समय हिमाचल की मुश्किल पहाड़ियों में अभ्यास में लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि अगर लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर हालात बिगड़े तो भी राफेल रेडी रहेंगे। मिलिट्री एविएशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक राफेल जेट्स को लद्दाख में भी अभ्यास के लिए प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि ये जेट्स प्रोग्रामेबल सिग्नल प्रोसेसर्स (पीएसपी) से लैस हैं यानी अगर तनाव बढ़ा तो यह सिग्नल की फ्रिक्वेंसी को बदल सकते हैं। आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच एलएसी का एक हिस्सा हिमाचल प्रदेश से भी गुजरता है।
पल भर में ढेर कर सकता है चीनी जेट को
राफेल की लैंडिंग से पहले आईएएफ ने साफ कर दिया थ पायलट्स, ग्राउंड क्रू और फाइटर जेट, भारत पहुंचते ही ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाएंगे। राफेल जेट को गेम चेंजर कहा जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो राफेल एक 4.5 पीढ़ी का एयरक्राफ्ट है लेकिन इसके बाद भी राफेल इतना क्षमतावान है कि वह चीन के प्रीमियर जेट जे-20 को ढेर कर सकता है। राफेल को अफगानिस्तान, लीबिया और सीरिया जैसी मुश्किल जगहों में भी प्रयोग किया जा चुका है। राफेल एक बार में एक साथ चार मिशन को अंजाम दे सकता है।
खतरनाक मिसाइलों से जैस राफेल
राफेल में फिट मीटियोर मिसाइलें और खतरनाक बनाती हैं। वहीं इस फाइटर जेट को आखिरी मौके पर हैमर मिसाइल से लैस किया गया है। हैमर एक रॉकेट एनेबल्ड हवा से जमीन पर मार करने वाली सटीक मिसाइल है। यह मिसाइल ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 60 किमी की रेंज के लिए अनुकूल है। मीटियोर मिसाइल की रेंज 150 किलोमीटर है और यह हवा से हवा में दुश्मन को निशाना बना सकती है। राफेल में लैस क्रूज मिसाइल स्कैल्प की रेंज 200 किलोमीटर है। इसे जमीन और पानी दोनों से ही लॉन्च किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें फिट माइका मिसाइलों को हवा से जमीन और हवा से हवा में हमलों में प्रयोग किया जा सकता है।
रडार की पकड़ से बाहर राफेल
राफेल को स्पेक्ट्रा सिस्टम से लैस किया गया है। स्पेक्ट्रा वह सिस्टम है जिसके बाद राफेल फ्लाइंग के दौरान और जमीन पर किसी भी खतरे से पूरी तरह सुरक्षित रह सकेगा। इस सिस्टम की वजह से राफेल को कभी भी दुश्मन जैम नहीं कर पाएंगे और उड़ान के दौरान यह किसी भी बड़े खतरे का पता आसानी से लगा सकता है। राफेल का री-प्रोग्रामेबल सिस्टम खतरे को बेहतरी से परख सकता है। इसकी वजह से इसे डिटेक्ट कर पाना और इसे ढेर कर पाना बहुत ही मुश्किल है। राफेल का इंजन भी सुखोई की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर है और इस पर ज्यादा भरोसा किया जा सकता है।