MiG 27: कल अलविदा कह देगा IAF का 'बहादुर', कारगिल की जंग में पाकिस्तान को चटाई थी धूल
जोधपुर। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) का सबसे खतरनाक फाइटर जेट मिग-27, 27 दिसंबर को अपनी अंतिम उड़ान पर रवाना होगा। राजस्थान के जोधपुर स्थित एयरबेस से जेट आखिरी सॉर्टी पर रवाना होगा। इस सॉर्टी के बाद इस जेट को डि-कमीशंड कर दिया जाएगा। मिग-27 ने साल 1999 में कारगिल की जंग में एक अहम रोल अदा किया था। साल 1980 में सोवियत संघ से मिग-27 को खरीदा गया था और साल 1981 में यह आईएएफ में शामिल हुए थे।
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कैसे पड़ा जेट का नाम बहादुर
एक सीनियर आईएएफ ऑफिसर ने बताया कि आखिरी सॉर्टी पर सात मिग-27 फाइटर जेट आसमान में नजर आएंगे। इस ऑफिसर के मुताबिक यह अपने आप में एक इतिहास होगा क्योंकि अब कोई भी देश मिग-27 को ऑपरेट नहीं करता है। मिग-27 फाइटर जेट को उड़ाने वाले पायलट्स ने इस जेट को 'बहादुर' नाम दिया था। तीन दशकों से यह जेट आईएएफ के साथ है और इसका ट्रैक रिकॉर्ड किसी भी जेट की तुलना में बहुत ही उम्दा है।
सिंगल इंजन के बाद भी दमदार
सिंगल इंजन से ऑपरेट होने वाला यह एयरक्राफ्ट अपने इसी सिंगल इंजन की वजह से दुनिया का दमदार जेट है। इस जेट के जियोमिट्री विंग (पंख) इस एयरक्राफ्ट को और ताकतवर बनाते हैं। इन विंग्स की वजह से पायलट उड़ान के समय ही विंग स्वीप एंगल को बदल सकता है। किसी भी एयरक्राफ्ट के लिए किसी भी मिशन पर यह सबसे बड़ी उपलब्धि होती है जिस पर उसे खरा उतरना होता है।
38 साल बाद बन जाएगा इतिहास
साल 1980 में सोवियत संघ से मिग-27 को खरीदा गया था और साल 1981 में यह आईएएफ में शामिल हुए थे। कारगिल की जंग के समय जब आईएएफ ने दुश्मन को सीमाओं से बाहर खदेड़ने के लिए ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च किया था तो उस समय इन जेट्स ने एक बड़ा रोल अदा किया था। आईएएफ की आखिरी स्क्वाड्रन 29 स्कॉर्पियो जोधपुर में ही है। आखिरी सॉर्टी के साथ ही फाइटर जेट इतिहास का हिस्सा बन जाएगा।
स्क्वाड्रन का क्या होगा कोई जानकारी नहीं
राजस्थान में रक्षा प्रवक्ता कर्नल संबित घोष ने बताया कि डि-कमीशनिंग के बाद मिग-27 की स्क्वाड्रन का क्या होगा, अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं है। लेकिनडि-कमीशनिंग के बाद जेट को या तो निशानी के तौर पर रखा जा सकता है या फिर बेस या डिपो पर ये वापस लौट सकते हैं। हो सकता है कि इन्हें किसी दूसरे देश को भी दे दिया जाए।