Video: हिमाचल के कुल्लू में हुई IAF के चिनुक हेलीकॉप्टर की लैंडिंग, जानें क्या है वजह
शिमला। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच टकराव जारी है। इस टकराव के दौरान भारत ने बॉर्डर के इलाकों में सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है। जो ताजा जानकारी आ रही है उसके तहत हिमाचल प्रदेश में चीन बॉर्डर के करीब भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स गश्त लगा रहे हैं। वहीं चिनुक हेलीकॉप्टर ने भी लैंडिंग की है। बताया जा रहा है कि कुल्लू जिले के भूंतर एयरपोर्ट पर चिनुक लैंड हुआ है। सूत्रों की मानें तो चिनुक को शिंकुला पास के सुरंग निर्माण के कार्य से जुड़े सर्वे के लिए भेजा गया है।
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मुश्किल जांस्कार रेंज में उड़ान भरता चिनुक
कुल्लू के अलावा केलॉन्ग के स्टींगरी हैलीपैड भी इसकी लैंडिंग हुई है। यहां पर हेलीकॉप्टर ने मुश्किल जांस्कार रेंज में सर्वे किया है। चिनुक को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तैयार किया है। यह वही हेलीकॉप्टर है जिसे साल 2011 में अमेरिकी नेवी सील ने अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को एबोटाबाद में ढेर करने के लिए हुई सर्जिकल स्ट्राइक में प्रयोग किया था। पिछले वर्ष मार्च में दो चिनुक हेलीकॉप्टर भारत पहुंचे थे। भारत ने तीन बिलियन डॉलर की लागत से 15 चिनुक और 22 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स की डील की थी। साल 1962 से अमेरिकी सेनाएं इसका प्रयोग कर रही हैं। साल 1967 में वियतनाम युद्ध के दौरान पहली बार इसका प्रयोग किया गया था। ईरान और लीबिया की सेनांए भी इस हेलीकॉप्टर का प्रयोग कर रही हैं।
Boeing CH-47 Chinook.
— Silhouette 𓃬 (@AbhisheKatoch) October 15, 2020
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क्यों हिमाचल पहुंचा चिनुक
चिनुक को अमेरिका ने अफगानिस्तान में कोल्ड वॉर के दौरान तैनात किया था। इसके बाद ईराक में इन्हें तैनात किया गया। हिमाचल प्रदेश के मनाली जिले में अटल टनल के बाद अब लेह-कारगिल हाइवे पर एक और टनल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। शिकुंला पास पर बनने वाली यह टनल 13 किलोमीटर लंबी होगी। सुरंग निर्माण कार्य से पहले सर्वे के लिए टीम पहुंची गई है। चिनूक हेलिकॉप्टर की मदद से इसी सर्वे को अंजाम दिया जा रहा है। शिंकुला पास पर सुरंग निर्माण के सर्वे में डेनमार्क की एयरबोर्न इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तकनीक का इस्तेमाल होगा। बताया जा रहा है कि चिनूक हेलिकॉप्टर की मदद से 16 से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर जांस्कर रेंज में सर्वे किया जाएगा।