IAF चीफ ने कहा देर रात तक सोशल मीडिया पर बिजी रहते हैं पायलट्स, कम नींद की वजह से फ्लाइंग पर असर
बेंगलुरु। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने पायलट्स की कम नींद के लिए सोशल मीडिया को दोष दिया है। उनका कहना है कि आईएएफ पायलट्स सोशल मीडिया की वजह से पूरी नींद नहीं ले पा रहे हैं। एयरफोर्स चीफ ने यह बात इंडियन सोसायटी ऑफ एरोस्पेस मेडिसन की 57वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस में कही है। उन्होंने कहा है कि देर रात तक सोशल मीडिया का प्रयोग नींद से जुड़ी कई समस्याओं की वजह बन गया है। अपने इस बयान के साथ ही आईएएफ चीफ ने सोशल मीडिया के एक बड़े नकारात्मक प्रभाव का जिक्र किया है। आपको बता दें कि सोशल मीडिया के प्रयोग को लेकर रक्षा मंत्रालय पहले ही काफी सतर्क है।
Recommended Video
तलाशा जाए कोई उपाय
मार्शल बीएस धनोआ ने कहा कि सोशल मीडिया की वजह से पायलट्स की कम नींद के लिए कोई उपाय तलाशा जाना चाहिए। उन्होंने एरोस्पेस मेडिसन से अपील की कि वह कोई एरोस्पेस मेडिसन तैयार करे जिसके जरिए कम नींद पायलट्स वाले पायलट्स को फ्लाइंग से रोका जा सके। एयरफोर्स चीफ की मानें तो कम नींद की समस्या गर्मियों के दिनों में उन क्षेत्रों में ज्यादा बढ़ जाती है जहां पर तापमान 40 डिग्री तक पहुंच जाता है और जहां पायलट्स को तड़के सॉर्टीज के लिए जाना होता है।
पायलट का सोना बहुत जरूरी
मार्शल धनोआ के मुताबिक पायलट्स को सुबह छह बजे ब्रीफ करना होता है और उन्हें जल्दी सो जाना चाहिए। लेकिन कई पायलट्स देर रात तक सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। उन्होंने कहा कि कम नींद पायलट्स की परफॉर्मेंस को खासा प्रभावित करती है। ऐसे में इस बात का पता लगाना काफी अहम है कि पायलट्स को जरूरी नीदं मिली है या फिर नहीं। उन्होंने बताया नींद पूरी न होने की वजह से पूर्व में कई तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। यहां पर उन्होंने राजस्थान के बाड़मेर में स्थित उत्तरलाई एयरबेस पर हुई एक घटना का भी जिक्र किया।
साल 2016 में हुई थी एक स्टडी
साल 2013 में हुई घटना में मिग-21 क्रैश हो गया था जिसमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट रैंक के ऑफिसर की मृत्यु हो गई थी। घटना लैंडिंग के समय हुई थी और उस समय सुबह के 9:30 बजे थे। इससे पहले साल 2016 में इंडियन एयरफोर्स की ओर से पायलट्स की नींद के पैटर्न पर एक स्टडी की गई थी। उस समय 40 फाइटर पायलट्स को इसमें शामिल किया गया था। स्टडी में पता लगा था कि कम नींद की वजह से पायलट्स अपना 100 प्रतिशत देने में असक्षम हैं।