ड्राइवरलेस मेट्रो के साथ भारत होगा इन देशों में शामिल
दुनिया के किन देशों में पहले से ही मौजूद है ड्राइवरलेस मेट्रो और क्या है इसकी ख़ासियत.
आज से दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन शुरू होने वाली है. इस लाइन पर मेट्रो बोटेनिकल गार्डन से दक्षिणी दिल्ली में कालकाजी तक चलेगी.
मेट्रो की इस लाइन के चलने से दक्षिणी दिल्ली से नोएडा जाने का समय काफी कम हो जाएगा और यात्रियों को राजीव चौक या मंडी हाउस से होकर नहीं जाना पड़ेगा.
लेकिन, यह मजेंटा लाइन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस पर ड्राइवलैस यानी बिना ड्राइवर वाली मेट्रो चलाने की योजना है.
ऐसा भारत में पहली बार होगा जब कोई मेट्रो बिना ड्राइवर के चलाई जाएगी.
मेट्रो के तीसरे फेज में भारत में पहली बार ड्राइवरलेस तकनीक आएगी लेकिन दुनिया भर में कई देशों में ड्राइवरलेस मेट्रो पहले से ही चलती हैं. इन देशों में ड्राइवरलेस मेट्रो सफल भी रही हैं.
कहां-कहां है ड्राइवरलेस मेट्रो
दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में ड्राइवलेस ट्रेन कामयाबी से चल रही है. ये मेट्रो ज़मीन के नीचे चलती है इसमें ड्राइवर का केबिन भी नहीं होता है.
यूरोप में डेनमार्क, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन में भी ड्राइवरलैस मेट्रो चलती है. इन देशों में एक से ज़्यादा शहरों में भी ऐसी मेट्रो चलाई जाती है.
इनके अलावा अमेरिका और कनाडा में भी ड्राइवरलेस ट्रेन चलती है. वहीं, ब्राजील, पेरू और चाइल में भी इस तरह की मेट्रो काफ़ी पहले आ चुकी है.
भारत के पड़ोसी देश चीन में भी ड्राइवरलेस मेट्रो चलती है. अगर आप सऊदी अरब, क़तर और सिंगापुर जाएं तो वहां भी आप बिना ड्राइवर की मेट्रो का मज़ा उठा सकते हैं.
क्या है मेट्रो में ख़ास?
ड्राइवरलेस मेट्रो जैसा कि नाम से ही पता चला है कि इसे चलाने के लिए ड्राइवर की ज़रूरत नहीं पड़ती है. साथ ही यह मेट्रो किसी रुकावट को पहचानने और आपातकालीन परिस्थितियों में स्वचालित तरीके से काम करती है.
इसमें भले ही ड्राइवर न हो लेकिन इसकी हर गतिविधि पर नज़र रखी जाती है. कौन सी ट्रेन कहां है, किस गति से चल रही है और किसे कहां रुकना है ये सब कुछ स्वचालित होता है.
भारत की ड्राइवरलेस मेट्रो के बारे में कहा जा रहा है कि इसमें ज़्यादा यात्री सफ़र कर सकेंगे और इसमें ऊर्जा की भी कम खपत होगी.
जिन स्टेशनों से होकर ये ट्रेन गुजरेगी उन प्लेटफॉर्म पर स्क्रीन डोर लगे होंगे. ये स्क्रीन डोर सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं ताकि प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्री ट्रैक पर न जा सकें.
ये दरवाजे तभी खुलेंगे जब मेट्रो प्लेटफॉर्म पर आकर रुकेगी. साथ ही इस बार मेट्रों में कुर्सियों का रंग भी बदलकर संतरी और लाल रखा गया है.
हाल ही में कालिंदी कुंज डिपो में एक ड्राइवरलैस मेट्रो के साथ दुर्घटना भी हो गई थी. मेट्रो यार्ड की दीवार तोड़कर बाहर निकल गई थी.
पहले इसे ट्रायल रन के दौरान हुआ हादसा बताया गया लेकिन दिल्ली मेट्रो ने इसे मेंटनेंस के बाद हुई दुर्घटना कहा था. इसमें इंसानी ग़लती होने की आशंका जताई थी. हालांकि, इस हादसे में किसी को चोट नहीं पहुंची थी.