पिछले चार सालों में विश्व बैंक से सबसे अधिक कर्ज लेने वाले देश बना भारत
नई दिल्ली। हाल ही में जारी हुए एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में भारत विश्व बैंक से सबसे अधिक कर्ज लेने वाला देश है। यह पहली बार नहीं है जब भारत इस सूची में पहले स्थान पर रहा है। अगर पिछले 10 सालों का आंकड़ा उठाकर देखे तो पूरे विश्व में भारत वर्ल्ड बैंक से कर्ज लेने के मामले में 6 बार शीर्ष पर रहा है। बहुपक्षीय ऋण देने वाले संस्थान के आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था में विकास वित्त की बढ़ती आवश्यकता को दर्शाता है।
'द प्रिंट' द्वारा किए गए एक विश्लेषण में पता चला है कि, 2009 और 2018 के बीच, विश्व बैंक ने सड़क और बिजली के बुनियादी ढाँचे, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भारत को बड़ी सहायता प्रदान की है। बैंक ने इस अवधि के दौरान स्थानीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन और संस्थानों को मजबूत बनाने से संबंधित परियोजनाओं को भी वित्त पोषित किया।
वैश्विक वित्तीय संकट के बाद वित्तीय वर्ष 2010 में बैंक की वित्तीय सहायता 9.3 अरब डॉलर पर पहुंच गई थी क्योंकि विश्व बैंक ने अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए भारतीय बैंकों की मदद की थी। इस साल सरकार ने यह पैसा 27 प्रोजेक्टों पर लगाया।
डेटा से पता चलता है कि सालाना धनराशि में बदलाव हुए हैं। बैंक द्वारा चार साल की अवधि में आम तौर पर कुल $ 14- $ 15 बिलियन की सहायता की जाती है। देश के साथ साझेदारी कार्यक्रम का कार्यकाल भी आमतौर पर 4-5 वर्ष होता है। जबकि वित्तीय वर्ष 2011 और 2014 में यह सहायता 5 बिलियन डॉलर से अधिक थी। वहीं वित्त वर्ष 2013 में बैंक से ली गई राशि 2 बिलियन डॉलर से कम थी। बता दें कि विश्व बैंक का वित्तीय वर्ष जुलाई से जून तक चलता है।