सीधे नहीं तो ऐसे चाइनीज कंपनियों की नकेल कसना चाहता है भारत!
नई दिल्ली- जानकारी के मुताबिक भारत, चीन से आने वाले 100 फीसदी सामानों की सख्ती से चेकिंग करना चाहता है। पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच जो टकराव का माहौल बना हुआ है, उसके चलते एयरपोर्ट और बंदरगाहों पर पहले से ही सुरक्षा पूरी चौकस है। अब इस बात की संभावना है कि सरकार कस्टम विभाग से कह सकती है कि वो चीन से आयात होकर आने वाले हर कंसाइमेंट का सौ फीसदी भौतिक निरीक्षण करे, उनके पेपर मिलाए तभी देश के अंदर ले जाने की इजाजत दी जाए। हालांकि, सरकार इस मामले में खुलकर कुछ भी नहीं बोल रही है और उसकी ओर से इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं देने की कोशिश हो रही है। लेकिन, जिस तरह से कुछ कंटेनरों को सुरक्षा जांच के नाम पर रोकने की खबरें आई हैं, उससे यही लगता है कि आगे सभी बंदरगाहों और हवाई अड्डों को इसके निर्देश भी दिए जा सकते हैं।
ऐसे चाइनीज कंपनियों की नकेल कसना चाहता है भारत!
चेन्नई बंदरगाह देश के उन बंदरगाहों में शामिल है, जहां पर चीन से आयात होकर आने वाले सामानों की सख्त जांच हो रही है। चेन्नई कस्टम्स ब्रोकर्स एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि, 'बंदरगाहों, हवाई अड्डों समेत कस्टम से जुड़े सभी स्टेशनों के कार्गो संरक्षकों को कस्टम की ओर से अंदर से निर्देश हैं कि जो भी सामान चीन से आया है उसे रोका जाय।........यह भारत के सभी स्थानों के लिए लागू है.....इसलिए इन सभी जगहों से क्लियरेंस मिलने में देरी हो सकती है।' बता दें कि अभी 70 फीसदी आयातों को बिल की एंट्री होते ही ग्रीन चैनल के जरिए ले जाने की इजाजत मिल जाती है। यह प्रक्रिया बिना कोई दिक्कत के ऑनलाइन ही पूरी हो जाती है। सिर्फ 30 फीसदी माल को ही जांचा-परखा जाता है।
जांच के जरिए कसेगा चाइनीज माल पर शिकंजा!
जाहिर है कि अगर चीन से आए हर कंसाइनमेंट की पुख्ता जांच होगी तो माल के निकलने में देरी होने लगेगी। बिलों के मिलान, उसकी कीमतें और बाकी चीजों की खानापूर्ति करने में वक्त लगने लगेगा, जिससे चीन से आए माल की ढेर लग जाएगी। संदेह होने पर कई बार माल मंगवाने वाले की मौजूदगी में सामानों की पैकिंग भी खोलनी पड़ेगी, जिससे माल के निकलने में और देरी होती चली जाएगी। जानकारों की मानें तो चेन्नई बंदरगाह चीन से आने वाले टेलीकॉम पार्ट्स और उपकरणों का मुख्य रास्ता है। यहीं पर चीन से ऑटो उत्पाद भी पहुंचते हैं। इसलिए शायद सबसे पहले चेन्नई में ही चाइनीज माल की पुख्ता जांच शुरू की गई है। हालांकि, चीन से मंगवाए जाने वाले सामानों को छोड़ने में देरी करने के कोई आधिकारिक दिशा-निर्देश नहीं हैं, लेकिन आयातकों को उन्हें छुड़ाने में देरी लगने लगी है। इस मामले से जुड़े एक जानकार के मुताबिक, 'आयातकों से कहा गया है कि कंसाइमेंट को कोविड-19 की वजह से तय मानकों के हिसाब से जांचना और सैनिटाइज करना जरूरी है।' वहीं एक और शख्स ने कहा कि '100 % भौतिक निरीक्षण का मतलब है कि क्लियरेंस में देरी।'
सरकार ने खबरों का किया खंडन
हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि उसने चीन से आने वाले सामानों को रोकने का कोई आदेश नहीं दिया है, लेकिन माना है कि कुछ शिपमेंट को रोका गया होगा। इकोनॉमिक्स टाइम्स से एक अधिकारी ने कहा कि 'कस्टम या केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से चीन के कंटेनरों को रोकने या नहीं स्वीकार करने का मौखिक या लिखित कोई आदेश किसी बंदरगाह को नहीं जारी किया गया है।..................अगर कुछ मामलों में , कुछ कंटेनर रोके गए हैं तो वह खुफिया इनपुट और जोखिम के आंकलन के आधार पर रुटीन एक्सरसाइज के तौर पर किए गए होंगे।' बता दें कि चेन्नई में कस्टम के द्वारा रोजाना 300 से 500 बिल क्लियर किए जाते हैं। अगर इसमें देरी होने लगी तो सामानों के सही स्थान तक पहुंचने में देरी होना स्वाभाविक है।
बीते साल 5,360 डॉलर का रहा व्यापार घाटा
बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत ने चीन से 1,680 करोड़ डॉलर का माल आयात किया जबकि, 7,003 डॉलर का निर्यात किया। इस तरह से भारत का व्यापार घाटा 5,360 डॉलर का रहा। मौजूदा दौर में इसी खाई को पाटने की बात चल रही है। ऐसे में चाइनीज माल की 100 फीसदी भौतिक निरीक्षण के दावों में अगर दम है तो हो सकता है कि धीरे-धीरे इसे उन चीजों तक सीमित किया जाए, जिसे रोककर भारत उन मामलों में ज्यादा आत्मनिर्भर बन सकता। जबकि, आवाश्यक उत्पादों को रोककर जानबूझकर देरी करने से तो खुद को ही बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। ऊपर से अगर चीन ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की तो बिना ठोस तैयारी के हालात बिगड़ भी सकते हैं।
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