अनलॉक-1 में रोजगार के मोर्चे पर राहत, बेरोजगारी दर घटकर लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंची
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (सीएमआईई) के कहा है कि भारत में रोजगार के मोर्चे पर राहत मिली है। बीते कुछ समय में कामकाज वापस शुरू हुआ है और अब बेरोजगारी दर लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंच गई है। है। बीते हफ्ते (21 जून को समाप्त हुए हफ्ते) में देश में बेरोजगारी की दर 8.5 फीसदी थी। जो लॉकडाउन से पहले का स्तर है। लॉकडाउन के कारण अप्रैल-मई में 23.5 फीसदी तक ऊंचे स्तरों पर पहुंच गई थी। देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पूरे भारत में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए थे। लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद हालात में सुधार है।
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सीएमआईई ने मंगलवार को अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में कहा कि मनरेगा और खरीफ की बुआई के कारण ग्रामीण इलाकों में लोगों को काफी रोजगार मिला है। 21 जून को समाप्त हफ्ते में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की दर घटकर 7.26 फीसदी रह गई। लॉकडाउन से पहले 22 मार्च को समाप्त हफ्ते में यह 8.3 फीसदी थी। हालांकि यह लॉकडाउन से पहले के 13 हफ्ते की 6.8 फीसदी की औसत दर से थोड़ा अधिक है।
बेरोजगारी दर मार्च में 8.75 फीसदी थी और 3 मई को खत्म हुए सप्ताह में यह 27.1 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। इसके बाद इसमें गिरावट आई। जून के पहले तीन हफ्तों में बेरोजगारी दर 17.5 फीसदी, 11.6 फीसदी और 8.5 फीसदी रही। शहरी इलाकों में भी बेरोजगारी दर लॉकडाउन से पहले की तुलना में अधिक है। वहीं शहरी इलाकों में बेरोजगारी की दर अब भी लॉकडाउन से पहले के स्तर से ऊंची बनी हुई है। 21 जून को समाप्त हफ्ते में शहरों में बेरोजगारी की दर 11.2 फीसदी थी। यह लॉकडाउन से पहले की तुलना में 200 आधार अंक अधिक है। लॉकडाउन से पहले 13 हफ्तों के दौरान शहरों में बेरोजगारी की दर औसतन 9 फीसदी थी
सीएमआईई की रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन में ढील मिलने से बेरोजगारी को कम करने में मदद मिली है। ग्रामीण भारत में लोगों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से लाभ हुआ है। ग्रामीण बेरोजगारी के कम से कम अक्टूबर 2020 तक कम रहने की उम्मीद है। सीएमआईई के मुताबिक ग्रामीण भारत में खपत बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जा सकते हैं।