MOTN सर्वे: 43% लोग मानते हैं CAA-NRC बेरोजगारी से ध्यान हटाने की कोशिश
नई दिल्ली। देशभर में विवादित नागरिकता संशोधन कानून को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विपक्ष मोदी सरकार पर लगातार सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों में लोगों को उलझाकर महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाने का आरोप लगा रही है। इन मुद्दों पर इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स पोल किया है। इस सर्वे के मुताबिक, 43 प्रतिशत लोगों का भी मानना है कि महंगाई और बेरोज़गारी के मुद्दों से जनता का ध्यान बंटाने के लिए सरकार CAA और NRC को मुद्दा बना रही है।
इसी सवाल पर 32 फीसदी लोगों का कहना है कि, उन्हें नहीं लगता है कि, ये कानून गंभीर मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के उद्देश्य से लाए गए हैं। वहीं 25 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर अपनी कोई राय व्यक्त नहीं की। अगर क्षेत्रीय हिसाब से देखें तो दक्षिण भारत में 50 प्रतिशत लोगों ने सीएए और एनआरसी को ध्यान भटकाने का प्रयास माना है। वहीं उत्तर, पूर्व और पश्चिम भारत के क्रमशः 40 फीसदी, 44 फीसदी और 41 फीसदी लोगों ने इसे अहम मुद्दों से भटकाने वाला प्रयास माना है।
इस सर्वे में 52 प्रतिशत लोगों ने माना कि CAA और NRC लागू होने से देश के अल्पसंख्यक असुरक्षित महसूस करते हैं। वहीं, 53 प्रतिशत लोगों ने माना कि अल्पसंख्यकों का डर जायज है। इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के सर्वे के मुताबिक सीएए पर 41 फीसदी लोग मोदी सरकार के साथ हैं, जबकि 26 फीसदी लोग विरोध करते हैं और इसे भेदभावपूर्ण बताते हैं।इसके अलावा 33 फीसदी लोगों सीएए से अनजान हैं।
एनआरसी के समर्थन में 49 फीसदी लोग हैं, जबकि विरोध में 26 फीसदी लोग हैं। इसके अलावा 25 फीसदी लोगों ने इस पर अपनी राय नहीं रखी या फिर उनको इसकी जानकारी नहीं है। सर्वे के मुताबिक 32 फीसदी अल्पसंख्यकों का कहना है कि सीएए और एनआरसी से डर नहीं है। हालांकि ज्यादातर अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना है। सर्वे के मुताबिक, देश के प्रमुख मुद्दों को लेकर जब लोगों से सवाल किए गए तो 32 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया। इसके बाद किसान संकट (15 प्रतिशत),मूल्य वृद्धि (14 प्रतिशत) और 10 फीसदी लोगों के लिए आर्थिक संकट बड़ा मुद्दा है।
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