चीन की 'दादागिरी' को झटका, भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीद रहा फिलीपींस, तटों पर होगी तैनाती
नई दिल्ली, 15 जनवरी: एक जमाना था जब सेना को मिलने वाले हर उपकरण विदेशों से मंगाने पड़ते थे, लेकिन अब भारत पूरी तरह से बदल गया है। भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत की बदौलत लगातार हमारे देश में बने हथियार और मिसाइलें विदेशों में बेची जा रही हैं। ताजा मामले में फिलीपींस ने भारत के साथ दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की खरीद को मंजूरी दे दी है। इस डील को रोकने में चीन ने काफी जोर लगाया था, लेकिन आखिर में उसकी दादागिरी दोनों देशों ने मिलकर निकाल दी।

374 मिलियन डॉलर की डील
फिलीपींस सरकार ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस से मिसाइल खरीदने को मंजूरी दे दी है। ये सौदा 374 मिलियन डॉलर का है। मामले में फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा सचिव डेल्फिन लोरेंजाना ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मैंने हाल ही में फिलीपीन नौसेना तट-आधारित एंटी-शिप मिसाइल अधिग्रहण परियोजना के लिए नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें तीन बैटरी की डिलीवरी, ऑपरेटरों और रखरखाव के लिए प्रशिक्षण के साथ-साथ आवश्यक एकीकृत रसद सहायता शामिल है।

चीन को क्या है दिक्कत?
जिस तरह से लद्दाख में चीन का भारत के साथ विवाद चल रहा है, उसी तरह दक्षिणी चीन सागर में भी फिलीपींस के साथ उसका विवाद है। जब भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल देने का फैसला किया, तो चीन को मिर्ची लग गई। उसको आशंका है कि ये मिसाइल फिलीपींस अपने तटीय इलाकों में तैनात कर सकता है। ऐसे में उसकी दादागिरी नहीं चल पाएगी।

कई देशों ने चल रही बात
डीआरडीओ और ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा कर दिया है। ऐसे में उसका प्लान अब ज्यादा से ज्यादा मित्र देशों को ये मिसाइल उपकरण उपलब्ध करवाना है। फिलीपींस के अलावा भी कई देशों से इसके लिए बात चल रही थी। उम्मीद जताई जा रही है कि चीन का पड़ोसी देश वियतनाम भी भारत से ये मिसाइल सिस्टम खरीद सकता है। ब्रह्मोस को सबसे तेज सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल कहा जाता है, जिसकी रफ्तार 4321 किलोमीटर प्रति घंटे है।
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