Coronavirus: भारत ने दिखाया बड़ा दिल, अमेरिका समेत पड़ोसी देशों को सप्लाई करेगा जीवन रक्षक दवाएं
नई दिल्ली। भारत ने कहा है कि वो कोरोना बीमारी से संबंधित दवाओं की आपूर्ति उन देशों के लिए शुरू करेगा जो इस महामारी से बुरी तरह पीड़ित हैं। सरकार की तरफ से ये बयान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत अगर हमें हाईड्रॉक्सीक्लोरीन की सप्लाई नहीं करता तो उसे अमेरिका की तरफ से भी इसी तरह का जवाब मिलेगा। भारत ने इसके साथ ही पैरासिटामोल और हाइड्रोक्लोरोक्वीन पर लगे बैन को आशिंक रूप से हटा लिया है।
यह भी पढ़ें-कोरोना वायरस: देश को संकट में देखकर ड्यूटी पर लौटा इस देश का पीएम
Recommended Video
एकजुट रहकर सहयोग करना होगा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना महामारी की विभीषिका को देखते हुए भारत का हमेशा से ये मानना रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मामले में एकजुट रहकर परस्पर सहयोग करना होगा। अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि महामारी के मानवीय पक्ष को देखते हुए हमने निर्णय लिया है कि भारत पैरासिटामॉल और हाईड्रॉक्सीक्लोरीन जैसी जरूरी दवाओं की उचित मात्रा में सप्लाई अपने उन पड़ोसी देशों के लिए करेगा जो इसके लिए हम पर निर्भर हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि देश उन पड़ोसी देशों के लिए सही मात्रा में इन दवाईयों की सप्लाई के लाइसेंस को मंजूरी देगा देगा जो उस पर निर्भर हैं। हाईड्रॉक्सीक्लोरीन टैबलेट को कोविड-19 के इलाज में कारगर दवाई के तौर पर देखा जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने 19 मार्च को कहा था कि अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को मंजूरी दी है।
भारत सबसे बड़ा उत्पादक देश
विदेश मंत्रालय की तरफ से किसी देश का नाम नहीं लिया गया है मगर कहा गया है कि कुछ देशों में जिन पर महामारी की वजह से काफी बुरा असर पड़ा है, उन्हें भी इन जरूरी दवाईयों की सप्लाई की जाएगी। विदेश मंत्रालय ने इसके साथ ही इस पूरे मसले का राजनीतिकरण न करने की अपील भी की है। ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था भारत ने मलेरिया की दवाई पर लगे निर्यात के प्रतिबंध को नहीं हटाया तो उनका देश कड़ी प्रतिक्रिया के कार्रवाई करेगा। ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रविवार को फोन पर बात की थी और उन्होंने कहा था कि भारत मलेरिया की दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की सप्लाई करे। भारत मलेरिया की दवाई हाइड्रोक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
लेकिन पहले घरेलू जरूरतों पर भी ध्यान
सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि दूसरे देशों की तरफ से मिले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामोल के निर्यात पर फैसला घरेलू जरूरतो को पूरा करने के बाद लिया जाएगा। भारत की तरफ से 25 मार्च को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर बैन लगा दिया गया था। डोनाल्ड ट्रंप के अलावा ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो ने भी भारत सरकार से आग्रह किया था कि उनके देशों में कोविड-19 की स्थितियों से निबटने के लिए इन दवाईयों की सप्लाई को मंजूरी दी जाए। सरकार से जुड़े करीबी सूत्रों की मानें तो इन दवाईयों से आशिंक बैन ही हटाया गया है यानी सिर्फ कुछ नियमों के तहत ही इनकी सप्लाई की जाएगी।
जयपुर में डॉक्टरों ने किया पहली बार प्रयोग
मलेरिया की दवाई से मार्च माह में डॉक्टरों ने राजस्थान के जयपुर में इटली से आए एक कपल का इलाज किया था। जो दवाईयां इस कपल को दी गई थीं उसमें मलेरिया की दवाई भी शामिल थी। फ्रांस में भी आइक्स मार्शल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिडीइर राओल्ट ने नोवोल कोरोना वायरस के एक मरीज के इलाज के लिए इस दवाई का प्रयोग किया था। उन्होंने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की डोज कोविड-19 के 36 मरीजों को दी थी। एक ड्राफ्ट पेपर जिसे अभी रिलीज नहीं किया गया है, उसमें कहा गया है कि 36 में से छह मरीजों में लक्षण नहीं थे, 22 को सांस का उच्च स्तर का इंफेक्शन तो आठ लोगों को सांस का निम्न स्तर का इंफेक्शन था।