2+2 मीटिंग का अमेरिका में हो रहे राष्ट्रपति चुनावों से कोई लेना-देना नहीं, भारत ने किया स्पष्ट
नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को उन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया गया है जिसमें कहा गया था कि तीन नवंबर को अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर भारत 2+2 मीटिंग की मेजबानी कर रहा है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मीटिंग का समय पहले हुई दो मीटिंग के आधार पर ही है। 27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच तीसरी 2+2 वार्ता होनी है। इसके ठीक छह दिन बाद अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होंगे। मीटिंग के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भारत आने वाले हैं।
Recommended Video
यह भी पढ़ें-अंतिम बहस में रूस, चीन और भारत पर बरसे डोनाल्ड ट्रंप
दिसंबर 2019 में हुई थी दूसरी मीटिंग
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इस मौके पर कहा, 'इस मीटिंग के समय के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि आपको राजनयिक कार्यक्रमों के कैलेंडरों की जानकारी होगी। आपने इस बात पर भी ध्यान दिया होगा कि पहले की दो मीटिंग्स भी साल के अंत में आयोजित हुई हैं।' पहली 2+2 मीटिंग का आयोजन नई दिल्ली में सितंबर 2018 में हुआ था तो दूसरी मीटिंग दिसंबर 2019 में अमेरिका में आयोजित हुई थी। तीसरी वार्ता में भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक और सुरक्षा संबंधों को एक कदम आगे लेकर जाने की संभावना है। भारत इस दौरान बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर साइन करेगा। इसके बाद अमेरिका, भारत को सैटेलाइट और सेंसर डेटा से जुड़ी जानकारियां साझा कर सकेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने अमेरिकी समकक्ष मार्क एस्पर से मुलाकात करेंगे। साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोंपेयो के साथ वार्ता करेंगे।
LAC पर भी होगी चर्चा
मार्क एस्पर और माइक पोंपेयो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे। दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के अमेरिकी उप-मुख्य सचिव की तरफ से इस मीटिंग से पहले बड़ी टिप्पणी की गई है। उन्होंने कहा है कि बेका और दूसरे समझौतों की दिशा में कार्य जारी है। फिलहाल इस समय कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। कई बातें तब सामने आएंगीजब माइक पोंपेयो और मार्क एस्पर भारत दौरे पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने हालांकि यह कहा कि मीटिंग में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भी चर्चा होगी। मुख्य सचिव की मानें तो अमेरिका लगातार एलएसी की स्थिति पर नजर रचो हुए है। भारत और चीन दोनों ही तनाव को कम करने की इच्छा जता चुके हैं।