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BRI: विदेश मंत्रालय ने किया साफ चीन का BRI प्रोजेक्‍ट देश की संप्रभुता के खिलाफ, भारत नहीं बनेगा साझीदार

गुरुवार को भारत ने एक बार फिर से चीन के बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) पर अपना रुख साफ कर दिया है। गुरुवार को भारत ने बीआरआई को भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ करार दिया है। इसके साथ ही सभी मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया गया है।

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नई दिल्‍ली। गुरुवार को भारत ने एक बार फिर से चीन के बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) पर अपना रुख साफ कर दिया है। भारत ने बीआरआई को देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ करार दिया है। इसके साथ ही उन सभी मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया गया है जिसमें कहा जा रहा था कि नई दिल्‍ली, इस प्रोजेक्‍ट का हिस्‍सा बन सकता है। विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर बयान देकर भारत का रुख फिर से स्‍पष्‍ट कर दिया गया है। बीआरआई, चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) का हिस्‍सा है और पहले इसका नाम वन बेल्‍ट वन रोड था। चीन का यह प्रोजेक्‍ट सिल्‍क रोड का जवाब माना जा रहा है।

BRI पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं

BRI पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं

विदेश मंत्रालय की ओर से एक सवाल के जवाब में इस पर भारत की स्थित‍ि तो स्‍पष्‍ट कर दी गई। मंत्रालय के प्रवक्‍ता रवीश कुमार ने एक बयान दिया और कहा, 'कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि भारत, चीन के साथ बीआरआई प्रोजेक्‍ट का हिस्‍सा बन सकता है। हमारी स्थिति बीआरआई पर एकदम स्‍पष्‍ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। चीन का सीपीईसी प्रोजेक्‍ट भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्‍लंघन करता है। कोई भी देश ऐसे किसी भी प्रोजेक्‍ट को स्‍वीकार नहीं कर सकता है जो क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर उसके हितों को नजरअंदाज करता हो।' उन्‍होंने आगे कहा, 'भारत इस बात को मानता है क‍ि इस तरह के प्रोजेक्‍ट्स को अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के आधार, बेहतर नेतृत्‍व, कानूनों, खुलेपन, पारदर्शिता और समानाता के आधार पर ही आगे बढ़ाना चाहिए।'

चीन डाल रहा दबाव

चीन डाल रहा दबाव

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि चीन, भारत पर बीआरआई में शामिल होने के लिए दबाव डाल रहा है। इन मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था चीन ने जोर देकर यह बात भारत से कही है कि यह विशाल आर्थिक योजना आने वाले वर्षों में देश की अर्थव्‍यवस्‍था को फायदा पहुंचाएगी। बीआरआई का मकसद एशिया और यूरोप के बीच एक व्‍यापार और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर नेटवर्क तैयार करना है। इस प्रोजेक्‍ट के जरिए कई क्षेत्रों जैसे व्‍यापार, कनेक्टिविटी, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट, पर्यटन और निवेश के क्षेत्र में कई मौके आएंगे।

 पीओके से होकर गुजरता है BRI

पीओके से होकर गुजरता है BRI

बीआरआई, सीपीईसी का ही हिस्‍सा है और भारत हमेशा से ही इस प्रोजेक्‍ट का विरोध करता आया है क्‍योंकि यह पीओके से होकर गुजरता है और भारत, पीओके को कश्‍मीर का ही हिस्‍सा बताता है। वहीं चीन का कहना है कि वह सभी देशों की सीमाओं का सम्‍मान करता है और पीओके का मसला भारत-पाकिस्‍तान का आपसी मसला है।

क्‍या कहा गया था खबरों में

क्‍या कहा गया था खबरों में

तीन अप्रैल को एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत, चीन के बीआरआई प्रोजेक्‍ट पर अपना रुख बदल सकता है। जून में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट चीन के किंगदाओ में होनी है। भारत इस समिट में पहली बार बतौर सदस्‍य हिस्‍सा लेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिट के लिए चीन जाएंगे। यहीं पर हो सकता है भारत बीआरआई पर अपने बदले हुए रुख के बारे में बड़ा ऐलान कर सकता है। साल 2017 में भारत और पाकिस्‍तान दोनों देशों को एससीओ में बतौर सदस्‍य शामिल किया गया है।

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English summary
India again made it clear that China's Belt and Road Initiative (BRI) violated the country's sovereignty and territorial integrity.
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