भारतीयों द्वारा करीब 34 लाख करोड़ का काला धन विदेश भेजे जाने का अनुमान- संसद में पेश रिपोर्ट
नई दिल्ली- भारतीयों द्वारा 30 साल में विदेश भेजे गए काले धन पर एक बहुत ही बड़ा आंकड़ा सामने आया है। सोमवार को लोकसभा में पेश फाइनेंस पर बनी स्टैंडिंग कमिटी की एक रिपोर्ट से इस आंकड़े का खुलासा हुआ है। कमिटी ने तीन संस्थानों की रिसर्च के आधार पर बताया है कि 30 साल की अवधि में भारतीयों ने करीब 246.48 अरब डॉलर (यानी 17,25,300 करोड़ रुपये) से लेकर 490 अरब डॉलर (यानी 34,30,000 करोड़ रुपये) का काला धन भारत के बाहर भेजा है।
कुछ खास सेक्टर ने भेजे सबसे ज्यादा काला धन
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी ऐंड फाइनेंस (एनआईपीएफपी), नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) जैसी तीन दिग्गज संस्थानों ने यह जानकारी 1980 से 2010 की अवधि के बीच के अध्ययन के आधार पर यह विश्लेषण किया है। सोमवार को पेश फाइनेंस पर बनी स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार तीनों संस्थानों का रिसर्च कहता है कि सबसे ज्यादा काला काला धन रियल एस्टेट, माइनिंग, फार्मास्युटिकल्स, पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, बुलियन, कमॉडिटी, फिल्म एवं एजुकेशन सेक्टर का है।
तीनों संस्थानों के अनुमानों में भी अंतर
स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक तीनों संस्थानों के अनुमानों भी काफी अंतर पाया गया है। मसलन एनसीएईआर ने अपनी रिसर्च में कहा है कि देश से 1980 से लेकर 2010 के बीच 26,88,000 लाख करोड़ रुपये से लेकर 34,30,000 करोड़ रुपये का काला धन विदेशों में भेजा गया। जबकि, एनआईएफएम का कहना है कि इकोनॉमी में बदलाव (1990-2008) के दौरान लगभग 15,15,300 करोड़ रुपये (यानी 216.48 अरब डॉलर) का काला धन भारत से बाहर के देशों में भेजा गया। लेकिन, एनआईपीएफपी की मानें, तो 1997-2009 के दौरान देश के जीडीपी का 0.2 फीसदी से लेकर 7.4 फीसदी तक काला धन विदेशों में भेजा गया।
काले धन पर कोई अनुमान पुख्ता नहीं
स्टैंडिंग कमिटी ने रिपोर्ट में कहा है कि देश में काला धन पैदा होने या जमा होने को लेकर कोई अनुमान पुख्ता नहीं है। सबसे बड़ी बात ये है कि अनुमान जताने का तरीका भी अलग-अलग है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जो भी अनुमान दिए गए हैं, उनमें कोई एकरूपता या एक राय नहीं पाई गई है। दरअसल, मार्च 2011 में तत्कालीन सरकार ने इन तीनों संस्थाओं को देश और देश के बाहर भारतीयों के कालेधन की जानकारी करने की जिम्मेदारी दी थी। उस समय काला धन एक बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि अघोषित धन-सम्पत्ति का कोई भरोसेमंद आकलन करना बहुत ही मुश्किल है। स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर का मानना है कि इन तीनों रिपोर्ट के आंकड़ों के आधार पर अघोषित संपत्ति का कोई एक साझा अनुमान निकालने की गुंजाइश नहीं है।' 16वीं लोकसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में यह स्टैंडिंग कमिटी गठित की गई थी, जिन्होंने इस साल 28 मार्च को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को अपनी रिपोर्ट सौप दी थी। अब जाकर 17वीं लोकसभा के गठन होने के बाद उस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा गया है।
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