अग्नि 5 का फाइनल टेस्ट, सिर्फ 20 मिनट में तबाह हो सकता है बीजिंग
दिसंबर के अंत में होगा अग्नि-5 का फाइनल टेस्ट। 'मिसाइल मैन' अब्दुल कलाम का सपना था यह मिसाइल प्रोग्रााम।
नई
दिल्ली।
भारत
आने
वाले
कुछ
दिनों
में
इंटर
कॉन्टिनेंटल
बैलेस्टिक
मिसाइल
(आइसीबीएम)
अग्नि
5
का
फाइनल
टेस्ट
लॉन्च
करेगा।
यह
मिसाइल
भारत
के
लिए
कई
मायनों
में
खास
है।
यह
मिसाइल
न
सिर्फ
पाकिस्तान
की
ताकत
का
जवाब
होगी
बल्कि
चीन
को
भी
घेरेगी।
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अब्दुल कलाम की देखरेख में बनी मिसाइल
अग्नि मिसाइलों का डेवलपमेंट इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत वर्ष 1983 से शुरू हुआ था।
'मिसाइल मैन' और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की देखरेख में इस प्रोग्राम को शुरू किया गया था। अब अग्नि-5 अपने फाइनल टेस्ट लॉन्च को तैयार है तो जाहिर सी बात है कि यह देश की सुरक्षा को कई गुना तक बढ़ा सकेगी।
वर्ष 2015 में जब भारत के गणतंत्र दिवस परेड में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बतौर खास मेहमान शिरकत की थी तो इस मिसाइल को भी झांकी का हिस्सा बनना था।
आखिरी क्षणों में यह फैसला वापस ले लिया गया। सूत्रों की मानें तो भारत नहीं चाहता था कि अमेरिका उसकी इस एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी से रूबरू हो।
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5,000 से 5,800 किमी की रेंज
अग्नि-5 की रेंज 5,000 से लेकर 5,800 किमी की रेंज वाली इस मिसाइल को वर्ष 2012, 2013 और 2015 में टेस्ट किया जा चुका है। नई दिल्ली और बीजिंग की दूरी 3,778 किमी है।
चीन के साथ ही भारत को आंख दिखाने वाले दूसरे देशों को यह साफ संदेश है कि अगर आंख दिखाई तो सिर्फ कुछ मिनटों में उनका नाम खाक में मिल सकता है।
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क्यों खतरनाक है अग्नि-5
- भारत की पहली इस तरह की मिसाइल है जो आईसीबीएम और जिसकी रेंज 5,000 किमी से ज्यादा है।
- भारत से पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के पास यह मिसाइल टेक्नोलॉजी है।
- इस मिसाइल की रेंज 5,000 से लेकर 5,800 किमी तक है।
- डीआरडीओ ने 4 साल में इस मिसाइल को बनाया है।
- इस पर करीब 50 करोड़ रुपए की लागत आई है।
- इस मिसाइल का वजन 50 टन और इसकी लंबाई 17.5 मीटर है।
- यह एक टन का परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
- सिर्फ 20 मिनट में यह मिसाइल 5,000 किमी की दूरी तय कर सकती है।
- चीन और यूरोप के सभी ठिकाने इस मिसाइल की पहुंच में है।
- अग्नि-5 दुश्मनों के सैटेलाइट नष्ट करने में भी उपयोगी है।
- इससे पहले तीन बार इस मिसाइल का दो बार सफल परीक्षण किया जा चुका है।
- 19 अप्रैल, 2012 को इसका पहला सफल परीक्षण किया गया था।
- 15 सितंबर, 2013 को दूसरा सफल परीक्षण किया गया।
- जनवरी 2015 में तीसरी बार इस मिसाइल का परीक्षण किया गया।
- उस समय इसे एक खास तरह के कनस्तर के सहारे लॉन्च किया गया था।
- सिर्फ प्रधानमंत्री के आदेश के बाद ही इस मिसाइल को छोड़ा जा सकता है।