ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत श्रीलंका, बांग्लादेश से भी पीछे, 90 फीसदी बच्चों को पौष्टिक खाना नहीं मिलता
नई दिल्ली। एक तरफ जहां भारत जहां विकास के तमाम दावे कर रहा है तो दूसरी तरफ ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत उन देशों से भी पीछे चला गया है जो देश भारत से कई विकास के पैमाने पर पीछे हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत की रैंकिंग 117 देशों की लिस्ट में 102 पर है। इससे पहले 2014 में भारत की रैंकिंग 77 देशों में 55वे स्थान पर है। भारत की रैंकिंग पाकिस्तान, श्रीलंका से भी नीचे हैं, जोकि देश में विकास के तमाम दावों पर सवाल खड़ा करती है।
श्रीलंका, नेपाल से भी पीछे
बता दें कि हंगर इंडेक्स राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर भूख को मापने का पैमाना है। इसे मुख्य रूप से कुपोषण और भूख के आधार पर तय किया जाता है। जिसमे बाल मृत्यु दर, बच्चों का उम्र के हिसाब से विकास, बच्चों की लंबाई के हिसाब से वजन में कमी, आदि के आधार पर हंगर इंडेक्स का निर्धारण किया जाता है। अहम बात यह है कि इस हंगर इंडेक्स में भारत बांग्लादेश और श्रीलंका से भी पीछे हैं। इस इंडेक्स समें जहां भारत 102वें स्थान पर है तो बांग्लादेश 88वें नंबर और श्रीलंका 66वें नंबर है।
90 फीसदी बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं
गौरतलब है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स को वेल्थहंगरलाइफ और कंसर्न वर्ल्डवाइड नाम की संस्था ने तैयार किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है जहां की हालत काफी चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 6 से 23 महीने के बच्चों की बात करें तो सिर्फ 9.6 फीसदी बच्चों को ही न्यूनतम पौष्टिक आहार मिलता है, जबकि तकरीबन 90 फीसदी बच्चों को न्यूनतम पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है। यही नहीं 2015-16 तक 90 फीसदी भारतीय घरों में पीने के पानी की बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि 39 फीसदी घरों में सफाई का कोई इंतजाम नहीं है।
स्वच्छ भारत अभियान पर भी सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर को देश को खुले में शौंच से मुक्त घोषित कर दिया है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार अभी भी लोग खुले में शौंच करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की, तमाम घरों में शौचालय भी बनाए गए, लेकिन बावजूद इसके अभी भी लोग खुले में शौंच करने जाते हैं। इससे लोगों की सेहत पर गलत प्रभाव पड़ता है, जिसके सबसे ज्यादा शिकार बच्चे होते हैं। रिपोर्ट में दक्षिण एशिया के दो देशों की तारीफ की गई है। इसमे कहा गया है कि नेपाल और बांग्लादेश ने भूख से लड़ने की दिशा में काफी बेहतर काम किया है और अन्य देश इन देशों से सीख ले सकते हैं।