करतारपुर कॉरीडोर पर फिर शांति, कौन पहले हामी भरेगा इसका इंतजार कर रहे भारत-पाकिस्तान
नई दिल्ली। पिछले दिनों पाकिस्तान से खबर आई थी कि नई सरकार की ओर से करतारपुर साहिब कॉरीडोर को खोलने का फैसला किया गया है। यह फैसला भारत के पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस पार्टी के विधायक नवजोत सिंह सिद्धू की उस अपील पर किया गया जो उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान से की थी। लेकिन अब ऐसी खबरें हैं कि दोनों देश एक-दूसरे की पहल का इंतजार कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच साल 2015 से बातचीत की प्रक्रिया रुकी हुई है। ऐसे में इस फैसले को कैसे अमल में लाया जाए। दोनों देशों के बीच इस कॉरीडोर का खुलना आपसी भरोसे को आगे बढ़ाने में एक अहम कदम साबित हो सकता है।
पाकिस्तान सरकार खामोश
इंग्लिश अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू की अपील पर पाकिस्तान इस कदम के लिए तैयार तो हो गया है लेकिन अब फिर से सरकार ने चुप्पी साध ली है। पाक के सूचना मंत्री फवाद चौधरी की ओर से कहा गया था कि वह भारत से सिख श्रद्धालुओं को वीजा फ्री एंट्री की मंजूरी दे सकते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भारत सरकार के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भारत अभी तक पाकिस्तान सरकार की ओर से सूचना का इंतजार कर रहा है। वहीं पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने इस पर अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है। साल 2015 में रूस के उफा में पीएम मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के बीच इस मुद्दे पर बात हुई थी। तब से इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई है।
सिखों के लिए पवित्र है कॉरीडोर
पिछले दिनों खबरें आई थीं कि पाकिस्तान ने गुरुनानक देव जी की 550वीं जन्मतिथि पर कॉरीडोर को खोलने का फैसला किया है।करतारपुर कॉरीडोर सिखों के लिए सबसे पवित्र जगह है। करतारपुर साहिब सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्थान था और यहीं पर उनका निधन हुआ था। बाद में उनकी याद में ही यहां पर गुरुद्वारा भी बनाया गया। करतारपुर साहिब, पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है जो पंजाब मे आता है। यह जगह लाहौर से 120 किलोमीटर दूर है। जहां पर आज गुरुद्वारा है वहीं पर 22 सितंबर 1539 को गुरुनानक देवजी ने आखिरी सांस ली थी।