जिद पर अड़ी चीनी सेना, लद्दाख में चीन की Wolf Warrior रणनीति को ऐसे मात देगा भारत
नई दिल्ली। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अड़ियल रवैया जारी रखे है। कुछ जगहों गोगरा पोस्ट, हॉट स्प्रिंग्स के साथ ही पैंगोंग त्सो पर भी पीएलए जवानों का जमावड़ा देखा जा सकता है। अब मोदी सरकार चीन को जवाब देने के नए तरीकों पर विचार कर रही है। सरकार अब कुछ नए उपायों अपनाने की तैयारी में है ताकि जवान अपनी लोकेशंस पर लौट सकें। भारत और चीन के बीच पांच मई से ही लद्दाख में टकराव जारी है।
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एक और लोकेशन पर कब्जे को तैयार चीन
सरकार और मिलिट्री के करीबी सूत्रों के मुताबिक पीएलए के जवान पैंगोंग के उत्तरी किनारे पर स्थित फिंगर 4 के ग्रीन टॉप पर मौजूद हैं। इसकी वजह से चीन को फिंगर 3 से फिंगर 8 तक फायदा मिलता है। वह इन इलाकों पर अपना दबाव बनाए हुए है। पीएलए ने इस इलाके को खाली करने से मना कर दिया है। वह अब फिंगर 4 के ब्राउन टॉप के अतिरिक्त कोई और हिस्सा छोड़ने को तैयार नहीं है। गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाके जो कोंग्का ला के पास हैं, वहां पर यही स्थिति है। पीएलए ने जिस जगह पर अतिक्रमण किया हुआ है, उसका मकसद साफ है कि कुरंग नदी तक अपना कब्जा करना है। यह नदी श्योक नदी से ही निकली है।
आक्रामकता चीनी रणनीति का हिस्सा
चीन का जिद्दी रवैया न सिर्फ लद्दाख में नजर आ रहा है बल्कि बीजिंग में भारतीय राजदूत और विदेश मामलों के आयोग में डिप्टी डायरेक्टर के साथ भी उसका यही रुख नजर आता है। सूत्रों की मानें तो चीन भी कहीं कहीं इस बात को समझ रहा है कि पीएलए एक आक्रामक भूमिका में हैं न कि इंडियन आर्मी। इस वजह से ही वह भारत के साथ मुलाकात करने से हिचक रहा है। अधिकारियों की मानें तो कहीं न कहीं आक्रामकता चीन की रणनीति का हिस्सा है। चीन, भारत के साथ सामान्य रिश्तों की बात करता है। इससे बस यही इशारा मिलता है कि चीन यह चाहता है कि भारत हर हाल में पीएलए की आक्रामकता को स्वीकार ले और राजनियक वार्ता को बहाल करके आगे बढ़े। लेकिन भारत को यह बात हरगिज स्वीकार नहीं है।