भारत को अपनी सैन्य जरूरतों के लिए किसी देश पर निर्भरता को खत्म करने की जरूरत: CDS
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ जारी तनातनी के बीच भारत में हाई कमान की बैठकों का दौर जारी है। शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक सुरक्षा समीक्षा की बैठक की। इससे पहले रक्षा मंत्रालय के प्रमुख (CDS) बिपिन रावत ने इस बात पर जोर देते हुआ कहा था कि भारत को अपनी सैन्य जरूरतों के लिए किसी खास देश पर निर्भरता से बाहर निकलना होगा।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने ये बयान रक्षा निर्यात पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा, रक्षा व्यय के वितरण को भविष्य में बेहतर करने के लिए व्यय का यथार्थवादी विश्लेषण अवश्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत को 'प्रतिबंधो की धमकी' और दूसरे देश पर सैन्य जरूरतों की निर्भरता से बचने के लिए इस दिशा में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिबंधो का सामना करने वाले देशों से उपकरणों की खरीद में आने वाले मुश्किलों की ओर इशारा करते हुए यह बात कही।
संसदीय
पैनल
के
समक्ष
पेश
हुए
सीडीएस
भारत-चीन
सीमा
विवाद
के
बीच
शुक्रवार
को
आयोजित
की
गई
संसदीय
पैनल
की
बैठक
के
सामने
जनरल
बिपिन
रावत
पेश
हुए,
इस
बैठक
का
मेन
एजेंडा
विशेषकर
सीमावर्ती
क्षेत्रों
में
रक्षा
बलों
को
राशन
और
सामान
की
गुणवत्ता
की
निगरानी
को
सूचीबद्ध
करना
था।
इस
दौरान
कई
सदस्यों
ने
कहा
कि
वह
संसद
के
मानसून
सत्र
में
लद्दाख
स्थिति
का
मुद्दा
उठाएंगे।
बता
दें
कि
रक्षा
संबंधी
संसदीय
स्थायी
समिति
की
अध्यक्षता
भाजपा
नेता
जुएल
ओराम
करते
हैं।
यह भी पढ़ें: भारत-चीन तनाव के बीच संसदीय समिति के सामने पेश हुए CDS बिपिन रावत, बैठक में राहुल गांधी ने भी लिया हिस्सा
विदेश
मंत्री
ने
की
चीनी
समकक्ष
से
मुलाकात
LAC
पर
जारी
तनाव
के
बीच
भारत
के
विदेश
मंत्री
एस
जयशंकर
ने
मॉस्को
में
चीन
के
विदेश
मंत्री
मंत्री
वांग
यी
से
मुलाकात
की।
इस
दौरान
एस
जयशंकर
ने
चीन
को
दो
टूट
जवाब
देते
हुए
कहा
कि
भारत
एलएसी
पर
जारी
तनाव
को
और
नहीं
बढ़ाना
चाहता
है।
चीन
के
प्रति
भारत
की
नीति
यशास्थिति
बनी
हुई
है।
उन्होंने
कहा
कि
भारत
का
यह
भी
मानना
है
कि
भारत
के
प्रति
चीन
की
नीति
में
भी
किसी
तरह
का
बदलाव
नहीं
हुआ
है।