भारत-जापान ने Cyber-Security के क्षेत्र में मिलाया हाथ, ऐसे चकनाचूर करेगा चीन का मंसूबा
नई दिल्ली- भारत और जापान ने महत्वाकांक्षी साइबर-सिक्योरिटी डील फाइनल कर ली है। इसके चलते दोनों देशों को 5जी टेक्नोलॉजी और क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी। दोनों देशों ने इंडो-पेसिफिक इलाके में मुक्त विविध आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में भी काम करने का संकल्प लिया है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों एस जयशंकर और तोशिमित्सु मोटेगी की बैठक के बाद जो बयान जारी किया गया है, उसमें चीन का जिक्र सीधे तो नहीं है, लेकिन जिन मुद्दों पर चर्चा हुई है, उससे लगता है कि क्षेत्र में चीन की बढ़ी हुई गतिविधियों के मद्देनजर ही आपसी सहयोग पर सहमति बनी है।
प्रस्तावित साइबर-सिक्योरिटी समझौते में कैपिसिटी बिल्डिंग, रिसर्च एंड डेवलपमेंट के अलावा सिक्योरिटी और रेसिलिएंस इन क्रिटिकल इनफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर, 5जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 'डिजिटल टेक्नोलॉजी की बढ़ती भूमिका को महसूस करते हुए दोनों विदेश मंत्रियों ने ठोस और लचीले डिजिटल और साइबर सिस्टम की आवश्यकता पर जोर दिया और इस संदर्भ में साइबर सिक्योरिटी समझौते के मसौदे को अंतिम रूप देने का स्वागत किया।' मंत्रियों ने एक मुक्त और समावेशी इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में विविध और लचीली आपूर्ति श्रृंखला पर जोर डाला और इसको लेकर भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे समान विचारधारा वाले देशों के बीच लचीली आपूर्ति श्रृंखला के पहल का भी स्वागत किया।
गौरतलब है कि दोनों विदेश मंत्रियों की यह बैठक क्वाड देशों (भारत,जापान,ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) के विदेश मंत्रियों के साथ सिक्योरिटी डायलॉग पर हुई मंत्रियों की दूसरी मीटिंग के एक दिन बाद हुई है। उस बैठक में इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते अतिक्रमण के मद्देनजर नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया गया है।
गेटवे हाउस में इंटरनेशनल सिक्योरिटी स्टडीज के फेलो समीर पाटिल ने भारत-जापान के बीच प्रस्तावित साइबर-सिक्योरिटी समझौते को बहुत ही महत्वपूर्ण करार दिया है। उनके मुताबिक यह ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देश चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों से हैकिंग जैसी चुनौतियों और दूसरे खतरों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए 2016 में हुए हिताची पेमेंट सर्विस के साथ मैलवेयर की वजह से भारत के 32 लाख डेबिट कार्ड के डाटा पर आए संकट का उदाहरण दिया है। उनके मुताबिक यह दोनों देशों की चुनौती है और इसलिए इससे मिलकर ही निपटा जाना चाहिए।
प्रस्तावित समझौता इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह बैंक और पेमेंट सिस्टम, टेलीकम्युनिकेशन और इंटरनेट, न्यूक्लियर रिएक्टर और एनर्जी ट्रांसमिशन सिस्टम, ट्रांसपोर्ट सिस्टम और वॉटर सप्लाई सिस्टम से भी जुड़ा है। पाटिल के मुताबिक यह अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज सबके लिए यह आवश्यक है। बातचीत के दौरान भारत और जापान दोनों देशों के विदेश मंत्री इस बात पर भी राजी हुए कि इंडो-पेसिफिक क्षेत्र ने हाल के समय में बहुत ही प्रमुखता पायी है और दोनों देशों को इस क्षेत्र के फायदे के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।
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