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अमेरिकी आयात में चीनी हिस्सेदारी में गिरावट से ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाया है भारत

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नई दिल्ली। रबोबैंक शो के एक अध्ययन के अनुसार वाशिंगटन के साथ नई दिल्ली के करीबी राजनयिक संबंध और स्थानीय विनिर्माण आधार को बढ़ावा देने के बावजूद भारत अमेरिकी आयात में चीनी की हिस्सेदारी में गिरावट से ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाया है। 2019 में चीन से अमेरिका में विनिर्माण आयात 17 फीसदी यानी 8800 करोड़ कम हुआ है।

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रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण एशियाई देशों ने पिछले साल अमेरिका में शिपमेंट में अपनी हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि देखी, क्योंकि चीन के साथ व्यापार युद्ध ने अमेरिकी कंपनियों को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से दूर अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने के लिए मजबूर किया।

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जानिए, भारत को अधिक लाभ नहीं मिलने का एक कारण?

जानिए, भारत को अधिक लाभ नहीं मिलने का एक कारण?

नोट में लिखा गया है कि भारत को अधिक लाभ नहीं मिलने का एक कारण यह है कि कंप्यूटरों और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के क्षेत्र में सबसे अधिक उछाल देखा गया है। इस बारे में अर्थशास्त्री राल्फ वान मेचेलन और मिचेल वान डेर वेन लिखते है कि इस समय भारत में यह एक ऐसा उद्योग है, जो अभी अपेक्षाकृत छोटा है।

2019 में चीन से अमेरिका में विनिर्माण आयात 17 फीसदी गिरा

2019 में चीन से अमेरिका में विनिर्माण आयात 17 फीसदी गिरा

चीन से अमेरिका में विनिर्माण आयात 2019 में 17 फीसदी गिरा था, जो कि 8800 करोड़ कम हो गया। इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी आयात में चीन की हिस्सेदारी में 4 फीसदी की गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी-चीन ट्रेड युद्ध के अलावा कोरोनोवायरस महामारी ने फर्मों पर अपनी सप्लाई चेन के पुनर्मूल्यांकन के लिए भी दबाव बढ़ा दिया है।

वियतनाम, मेक्सिको और ताइवान मुख्य लाभार्थी बनकर उभरे

वियतनाम, मेक्सिको और ताइवान मुख्य लाभार्थी बनकर उभरे

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वियतनाम, मेक्सिको और ताइवान अमेरिकी आयात में बदलाव के मुख्य लाभार्थी बनकर उभरे हैं। उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, हम भू-राजनैतिक तनावों में अपेक्षित वृद्धि को देख सकते हैं, जो विस्तृत क्षेत्रों में सप्लाई चेन में अतिरिक्त तीव्र स्थानांतरण एक सबसे महत्वपूर्ण कारण है।

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English summary
A study by Rabobank shows that despite New Delhi's close diplomatic relations with Washington and boosting the local manufacturing base, India has not been able to achieve anything more than a decline in Chinese share in US imports. In 2019, manufacturing imports from China to America decreased by 17 percent i.e. 8800 crore.
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