सीमा विवाद के चलते भारत ने चीनी इंजीनियरों पर लगाए वीजा प्रतिबंध, ताइवानी कंपनियों को नुकसान
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच का चल रहे भू-राजनीतिक तनाव के कारण ताइवान की कुछ सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। जिसमें एप्पल कंपनी के आपूर्तिकर्ता भी शामिल हैं। हाल के दिनों में भारत ने चीनी इंजीनियरों को वीजा जारी करने में देरी की है। जिनकी जरूरत ताइवान की कंपनियों को दक्षिण एशियाई राष्ट्र में कारखाने स्थापित करने में मदद करने की थी। वहीं चीन भी अपने यहां कामगारों को वीजा देने में आनाकानी कर रहा है।
मामले के जानकार लोगों का कहना है कि, भारत भी रोजगार परमिट प्राप्त करने के लिए और अधिक कठिन विकल्प चुनने के लिए कंपनियों को बाध्य कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत में विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने और कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में अधिकतम विदेशी प्रत्यक्ष निवेश लाने (जिसने छह महीने से सितंबर तक 30 अरब डॉलर का निवेश किया है) में देरी हो सकती है।
कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने के लिए भारत की ओर देख रही हैं। पिछले साल, आईफोन असेंबलर - फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप, पेगाट्रॉन कॉर्प और विस्ट्रॉन कॉर्प जैसी कंपनियों ने कई अन्य लोगों के साथ मिलकर भारत में मोबाइल-फोन प्लांट लगाने के लिए 1.5 बिलियन डॉलर निवेश किए थे।
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज मोहिन्द्रू ने कहा, घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने में मदद करने के लिए वीज़ा एक महत्वपूर्ण संसाधन है और सरकार को नए कारखानों की स्थापना के लिए तकनीकी जनशक्ति की वास्तविक और अल्पकालिक आवश्यकताओं के साथ अपनी मौजूदा नीतियों को संतुलित करना है। हमें उम्मीद है कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
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