हत्यारी महिला के साथ मेड बनकर रही, महिला जासूस ने बताई पहले केस की कहानी
मुंबई। भारत की पहली महिला जासूस कही जाने वालीं रजनी पंडित बताती हैं कि वो कॉलेज में ही थीं, जब उन्होंने अपना पहला केस हल किया था। रजनी पहले भी अपने काम के लिए चर्चा में रही हैं, इस दफा उन्होंने अपनी जिंदगी के एक सबसे मुश्किल केस के बारे में बताया है। ह्यूमन ऑफ बॉम्बे नाम के फेसबुक पेज पर रजनी ने इस केस के बारे में लिखा है। रजनी के एक मुश्किल केस के बारे में जानकारी देती ये पोस्ट 24 घंटे से कम समय में वायरल हो गई है।
22 साल की उम्र में जासूसी शुरू की
रजनी खुद को देशी शेरलॉक कहते हुए बताती हैं कि 22 साल की उम्र में उन्होंने पहला केस खोला जिससे उन्हें काफी शोहरत मिली। वो बताती हैं कि सबसे मुश्कल केस, उस महिला के साथ मेड बनकर रहना था, जो डबल मर्डर में शामिल थी। छह महीने तक रजनी मेड बनकर इस महिला के पास रही जो दोहरे हत्याकांड में शामिल थी। वो बताती हैं कि एक बार मेरे रिकॉर्डर की क्लिक की आवाज उसने सुन ली और मेरे ऊपर शक करना शुरू कर दिया। इसके बाद उसके साथ रहना बहुत आसान नहीं था।
डबल मर्डर करने वाली महिला के साथ रहना
डबल मर्डर में शामिल महिला के साथ मेड बनकर रहने के बारे में लिखी पोस्ट में रजनी कहती हैं, ''मैं कॉलेज में थी जब मैंने अपना पहला केस हल किया। एक महिला जिसके घर में चोरी हुई थी, उसने अपने घर में चोरी के बारे में बताया। उसे उसकी नई बहू पर शक था लेकिन कोई सबूत नहीं था। उसने जांच करने के लिए पेशकश की। मैं हमेशा से ही जिज्ञासु स्वभाव की थी और अपने पिता के साथ ये सीखा था कि कैसे किसी मामले की जांच की जाए। मैंने जांच की तो मुझे पता चला कि इस महिला का बेटा वास्तव में चोर था। मेरे केस के सुलझाने के बारे में जब पिता को पता चला, उसने कहा कि यह पेशा खतरनाक है साथ ही कहा कि मैं अगर चाहूं तो इसे आगे बढ़ा सकती हूं।''
''मेरा
सबसे
मुश्किल
केस
एक
हत्या
के
मामले
की
जांच
के
लिए
सबूत
इकठ्ठा
करना
था।
एक
महिला
के
पति
और
बेटे
दोनों
की
हत्या
कर
दी
गई
लेकिन
कोई
सबूत
नहीं
था।
मझे
छह
महीने
तक
उस
औरत
के
साथ
एक
नौकरानी
के
रूप
में
रहना
पड़ा,
जिस
पर
कातिल
होने
का
शक
था
।
जब
वह
बीमार
पड़
गई
तो
मैंने
उसकी
देखभाल
कर
ली
और
धीरे-धीरे
उसका
भरोसा
हासिल
कर
लिया।
एक
बार
मेरे
रिकॉर्डर
के
'क्लिक'
की
आवाज
सुन
मुझ
पर
संदेह
करना
शुरू
कर
दिया
और
मुझे
बाहर
जाने
से
रोक
दिया।''
कैसे गिरफ्तार कराई महिला
रजनी लिखती हैं, ''एक दिन, वह शख्स जो उसके साथ हत्या में शामिल था, उससे मिलने आया। मैं जानता थी कि यह मेरा मौका है लेकिन बाहर कैसे जाऊं, तो मैंने अपने पैर को चाकू से काट दिया। मैंने कहा कि पट्टी वगैरह के लिए मुझे बाहर जाना होगा। घर से निकल मैं सीधे फोन बूथ गई और पुलिस को फोन किया। उस दिन दोनों गिरफ्तार हो गए और मामले का खुलासा हुआ।''
रजनी बताती हैं, मैंने लगभग 80,000 केस अब तक खोले हैं, दो पुस्तकें लिखी हैं और अनगिनत पुरस्कार जीते हैं। मुझे कई दफा धमकियां मिली भी मिली हैं। मैं ये मानती हूं कि मेरा काम सही है, मेरा मन साफ है और साहस अटल है तो धमकियां मुझे डरा नहीं सकतीं।
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