नहीं रहीं सबसे बुजुर्ग डॉक्टर पद्मावती, 70 साल का करियर और 103 वर्ष की उम्र में निधन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से सीधी लड़ाई लड़ रहे हमारे डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को पूरा देश सलाम कर रहा है। इस बीच महामारी काल में देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को एक बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की सबसे बुजुर्ग डॉक्टर पद्मावती का रविवार को निधन हो गया, वह 103 वर्ष की थीं और पिछले 70 साल से मेडिकल लाइन में सक्रिय थीं। डॉक्टर पद्मावती के निधन की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट कर दी है।
डॉ. हर्षवर्धन ने किया भावुक ट्वीट
डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट में लिखा, डॉ. एसआई पद्मावती, एक अद्भुत व्यक्तित्व जिन्होंने 103 साल की उम्र तक दिन में बारह घंटे और सप्ताह में पांच दिन काम किया। जिस समय कार्डियोलॉजी अधिकांश भारतीयों के लिए एक अज्ञात क्षेत्र था उस समय एक महिला होते हुए उन्होंने कई कारनामें कर के दिखाए। दिल्ली के राष्ट्रीय हृदय संस्थान की निदेशक और अखिल भारतीय हृदय फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. एसआई पद्मावती को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। पद्म विभूषण से सम्मानित, वह भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट थीं। वह भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट थी और उन्होंने पहले कार्डिएक क्लिनिक व कैथ लैब की स्थापना की थी।
1950 से मेडिकल क्षेत्र में सक्रिय
बता दें कि हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पद्मावती दिल्ली की सबसे बुजुर्ग डॉक्टर थीं, वह सन 1950 से दिल्ली के मेडिकल क्षेत्र में सक्रिय थीं। उन्होंने कभी शादी नहीं की। डॉक्टर पद्मावती ने अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई रंगून मेडिकल कॉलेज से करने के बाद इंगलैंड में मेडिसन की डिग्री हासिल की उसके बाद वह दिल्ली आ गई। भारत आने के बाद जब देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर को उनके बारे में मालूम चला तो उन्होंने डॉक्टर पद्मावती से लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने का आग्रह किया।
हृदय संबंधी रोगों की थीं विशेषज्ञ
स्वास्थ्य मंत्री के इस आग्रह को डॉ. पद्मावती ने स्वीकार कर लिया और फिर वहां अध्यापन करने के साथ-साथ ओपीडी में बैठने लगीं। डॉ. पद्मावती ने एक बार बताया था कि सरकार ने उन्हें साल 1976 में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल-डायरेक्टर जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा। डॉ. पद्मावती हृदय संबंधी रोगों पर विजय पाने के लिए शोध का नेतृत्व कर चुकी हैं, उन्हें हिन्दी, तमिल और इंग्लिश भाषा का ज्ञान था।
डॉक्टरों में दुख की लहर
डॉ. पद्मावती के निधन के बाद दिल्ली के कई डॉक्टरों दुख व्यक्त किया है। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में डॉ. पद्मावती के छात्र रहे डॉ. आलोक चोपड़ा ने कहा, 'आज लग रहा है जैसे मैंने अपनी मां को खो दिया हो। उनका अपने विषय पर पूरा अधिकार था, उनकी क्लास में ऐसा कोई स्टूडेंट नहीं था जो ना उपस्थित रहता हो। मुझे तो लगता है कि वह संसार की सबसे बुजुर्ग हृदय रोग विशेषज्ञ थीं।'
डिक्शनरी में नहीं था रिटायर शब्द
दिल्ली में आशलोक अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. आलोक चोपड़ा बताते हैं कि हम सभी छात्र हर वर्ष 19 जून को उनके जन्मदिन पर सफदरजंग एनक्लेव स्थित घर में आते। वहां वह हम सबको केक खिलाते हुए पूछती कि क्या नया रिसर्च कर रहे हो। इतना उम्र होने के बाद भी उनकी याददाश्त बहुत अच्छी थी। आलोक चोपड़ा ने कहा, 'डॉ. पद्मावती की डिक्शनरी में कभी रिटायर शब्द नहीं रहा, वह पिछले करीब 70 वर्षों से सुबह-शाम रोगियों को देखा करती थीं।'
नेहरू, इंदिरा और वाजपेयी थे प्रभावित
आलोक चोपड़ा ने कहा, 'डॉ. पद्मावती से पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा और अटल बिहारी वाजपेयी भी काफी प्रभावित थे। उन्होंने अपना सारा जीवन समाज और मेडिकल पेशे को समर्पित कर दिया। कई पुराने स्टूडेंट अभी भी उनसे कई मुद्दों पर सलाह-मशविरा करने के लिए आते रहते थे।' बता दें कि नैशनल हार्ट इंस्टीट्यूट की स्थापना करने वाली डॉ.पद्मावती अपनी लंबी उम्र के लिए सैर तथा स्वीमिंग को क्रेडिट देती थीं।
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