'ह्यूमन बैरिकेड' के जरिए कोरोना से लड़ रहा भारत, दूसरी लहर की संभावना कम
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के मामले में देश की स्थिति अब सुधर रही है। नया साल नई उम्मीदें लेकर आया, जहां एक ओर कोरोना वायरस की दो वैक्सीन को मंजूरी मिली, तो दूसरी ओर रोजाना के मामले भी तेजी से कम होने लगे। भारत में संक्रमण की गिरती दर के बीच कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि करीब 30 करोड़ लोग ऐसे हो सकते हैं, जिनमें कोरोना वायरस की एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है।
मिशिगन यूनिवर्सिटी की रिसर्चर भ्रमर मुखर्जी के मुताबिक वायरस के लिए एक ह्यूमन बैरिकेड है। ऐसे में मार्च के अंत तक रोजाना के मामलों में बहुत ज्यादा गिरावट देखी जा सकती है। पिछले साल सितंबर में भारत में रोजाना 1 लाख के करीब मामले आ रहे थे, जबकि अब ये आंकड़ा 10 हजार के आसपास है। वहीं भारत में अभी तक 1.56 लाख मौतें हुई हैं, इस लिस्ट में भारत का चौथा स्थान है।
वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के रामनारायण लक्ष्मीनारायण ने कहा कि भारत बहुत कुछ झेल चुका है। ऐसे में यहां पर दूसरी लहर की संभावना ज्यादा नहीं दिखती है। अगर ऐसा होता भी है तो ये बहुत ही मामूली होगा। हाल में एक सीरो सर्वे में संकेत मिले थे कि भारत में 21.5 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। साथ ही उनमें कोरोना की एंटीबॉडी भी बन गई है। वहीं 7 लाख लोगों पर किए गए एंटीबॉडी टेस्ट से पता चला कि 55 प्रतिशत लोगों में पहले से एंटीबॉडी मौजूद है।
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वहीं भ्रमर मुखर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारत को तेजी से टीकाकरण अभियान तो चलाना ही चाहिए। साथ ही कोरोना के नए वेरिएंट की भी अच्छे से मॉनिटरिंग होनी चाहिए। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा सामाजीकरण फिर से मुसीबत ला सकता है। जैसे- मुंबई में लोकल ट्रेनों को शुरू कर दिया गया, जबकि केरल में मामले ज्यादा होने के बाद भी स्कूल खोल दिए गए।