चीन बॉर्डर पर भारत की सबसे खतरनाक मिसाइलें तैनात, ब्रह्मोस, निर्भय, आकाश से मिलेगा करारा जवाब
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव बरकरार है। भारत की तरफ से चीन बॉर्डर पर करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं। सेना और वायुसेना पूरी तरह से अलर्ट है और लगातार चौकसी बरत रही है। इस बीच ऐसी भी खबरें हैं कि भारत की तरफ से चीन की किसी भी गुस्ताखी का जवाब देने के लिए ब्रह्मोस और निर्भय क्रूज मिसाइल के अलावा जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल को भी तैनात कर दिया है। भारत और चीन के बीच टकराव को अब 150 दिन होने वाले हैं और दोनों देशों के सैनिक बस दो किलोमीटर के दायरे में आमने-सामने हैं।
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500 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस
ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की रेंज 500 किलोमीटर है। भारत की तरफ से ये मिसाइलें तब तैनात की गई जब चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्र में मिसाइलों को तैनात कर डाला है। पीएलए की वेस्टर्न थियेटर कमांड की तरफ से 2000 किलोमीटर की रेंज में हमला करने वाले हथियारों को तैनात कर दिया गया है। साथ ही तिब्बत और शिनजियांग में टकराव शुरू होने के तुरंत बाद ही आकाश मिसाइलों की तरह ही मिसाइलों को तैनात कर दिया गया था। ब्रह्मोस मिसाइल को सुखोई के साथ भी लॉन्च किया जा सकता है। सुखोई, इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) का पहला फाइटर जेट है जिसे इसे मिसाइल से लैस किया गया है।
800 किलोमीटर रेंज वाली निर्भय
सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल को और निर्भय जो कि एक सबसोनिक मिसाइल है। निर्भय की रेंज 800 किलोमीटर है। इसे किसी भी बुरी स्थिति से निबटने को तैनात किया गया है। सूत्रों की मानें तो चीन की तरफ से यह तैनाती उसके कब्जे वाले अक्साई चिन तक ही सीमित नहीं है बल्कि काश्गर, होटान, ल्हासा और नियाइनग्शी में भी तैनाती को बढ़ाया गया है। ब्रह्मोस भारत का सबसे बड़ा हथियार है। यह मिसाइल न सिर्फ हवा से हवा में बल्कि जमीन से भी हवा में कर सकती है। ब्रह्मोस मिसाइल 300 किलोग्राम तक के वॉरहेड ले जाने में सक्षम है।गलवान हिंसा के बाद चीनी सेनाओं की तरफ से एयरस्पेस में गतिविधियां बढ़ा दी गई है। चीन की तरफ सुखोई-30 और बॉम्बर्स को भारतीय सीमा के करीब तैनात किया गया था।
गलवान के बाद से तैनात आकाश
भारत की तरफ से गलवान घाटी हिंसा के बाद ही आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को तैनात कर दिया गया था। आकाश, एयर डिफेंस सिस्टम 40 किलोमीटर के दायरे में हवा में मौजूद किसी भी टारगेट को आसानी से ध्वस्त कर सकता है। यह मिसाइल सिस्टम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट को कुछ ही सेकेंड्स में निशाना बना सकता है। इसमें कुछ अपग्रेडेशन हुआ है और इसके बाद यह पहाड़ों में तैनाती के योग्य हो गया है। जून में भारत सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि कि सेक्टर में लगातार चीन का निर्माण जारी है। इंडियन आर्मी और एयरफोर्स दोनों की ही तरफ से एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात कर दिया गया है ताकि चीनी एयरफोर्स और चीनी सेना के किसी भी दुस्साहस का जवाब दिया जा सके। ये एयरक्राफ्ट भारत की सीमा से 10 किलोमीटर से कुछ ही ज्यादा की दूरी पर उड़ान भर रहे थे।
विशेषज्ञ बोले चीन पर भरोसा मुश्किल
भारत और चीन के बीच मई माह से ही पूर्वी लद्दाख में टकराव की स्थिति है। 15 जून को इस टकराव ने गलवान घाटी में हिंसा का रूप ले लिया था। भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे जबकि 76 जवान घायल हो गए थे। जबकि चीन के कितने सैनिक मारे गए, इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। फिलहाल बस दो किलोमीटर के दायरे में ही दोनों सेनाओं के जवान आमने-सामने हैं। भारत और चीन के कोर कमांडर की मीटिंग पिछले हफ्ते इस वादे के साथ खत्म हुई कि वह अगले कुछ दिनों में फिर से मिलेंगे। भारत में रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है। वहीं रक्षा मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो चीन साल 2017 में डोकलाम संकट के बाद से ही कोई समझौता नहीं मान रहा है।