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भारत चीन तनावः चीनी तैयारी की ख़ुफ़िया जानकारी भारत को क्यों नहीं मिल पाई?

क्या भारत की ख़ुफ़िया एजेंसियों के पास इतनी क्षमता नहीं है कि 'योजनाबद्ध' और 'पूर्व नियोजित' हमले के बारे में सेना को अलर्ट कर सके?

By जुगल पुरोहित
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भारतीय सेना
Yawar Nazir/Getty Images
भारतीय सेना

भारत के पूर्व सैन्य ख़ुफ़िया प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) अमरजीत बेदी का कहना है कि भारत को अपनी ख़ुफ़िया एजेंसियों की भूमिका की समीक्षा करनी चाहिए और चीन संकट ख़त्म होने पर उन्हें ठीक करना चाहिए.

जनरल बेदी ने बीबीसी को दिए एक ख़ास इंटरव्यू में कहा कि जो भारतीय सैनिक गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से लड़े थे, उनके पास ख़ुफ़िया चेतावनी पहुंचनी चाहिए थी.

उन्होंने कहा, ''हमारे सैनिकों को पहले से चीनी सैनिकों के मूवमेंट के बारे में ख़बर मिलनी चाहिए थी. मुझे लगता है कि ये संकट ख़त्म होने के बाद इस बारे में पूरी पड़ताल होनी चाहिए कि हमारे सैनिकों को इस बारे में भनक कैसे नहीं लगी. भविष्य में अपने सिस्टम में सुधार के लिए भी ये ज़रूरी है. ये जांच सिर्फ़ सेना के भीतर न हो बल्कि ख़ुफ़िया एजेंसियों समेत बाकी अन्य संस्थाओं के भीतर भी हो. इस तरह की जांच हमने करगिल हमले के बाद भी की थी जिसके लिए विशेष टास्क फ़ोर्स बनाया गया था."

जनरल बेदी का मानना है कि चीन ने जैसा आक्रामक रुख़ अपनाया और हिंसक संघर्ष में जिस तरह भारतीय सैनिक मारे गए, उससे पता चलता है कि चीन ने काफ़ी योजनाबद्ध तरीक़े से इन सारी चीज़ों पर काम किया है.

अमरजीत बेदी कहते हैं, ''मुझे लगता है कि चीन लंबे समय से इस पर काम कर रहा था. मुमकिन है कि उन्होंने मार्च-अप्रैल से ही ये सारी तैयारियां शुरू कर दी हों.''

गलवान घाटी में हमले के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने ख़ुद इसे 'योजनाबद्ध' और 'पूर्व नियोजित' बताया था.

तो क्या भारत की ख़ुफ़िया एजेंसियों के पास इतनी क्षमता नहीं है कि 'योजनाबद्ध' और 'पूर्व नियोजित' हमले के बारे में सेना को अलर्ट कर सकें?

इस सवाल के जवाब में जनरल बेदी ने कहा, "मैं ये तो नहीं कह सकता कि ये ख़ुफ़िया और मॉनिटरिंग एजेंसियों की विफलता है. हमने भी ख़ुद को तैयार रखा था लेकिन हमें लगा था कि चीन संधियों के प्रावधानों के मुताबिक़ ही काम करेगा जबकि ऐसा नहीं हुआ."

जनरल बेदी मार्च तक भारत के सैन्य ख़ुफ़िया प्रमुख थे. क्या तब तक चीन की योजनाओं के बारे में भारत को कुछ पता चल पाया था?

इसके जवाब में उन्होंने कहा, "हमें चीन के अंदर होने वाली हर तरह की कार्रवाइयों जैसे इंफ़्रास्ट्रक्चर बनाना हो, सैन्य अभ्यास हो या फिर किसी तरह की असमान्य गतिविधि के बारे में पता होता था. मार्च तक हमें चीनी सैनिकों के अभ्यास के बारे में कुछ संकेत मिले थे जिनकी जानकारी हमने आगे भी बढ़ाई थी."

ये भी पढ़ें: भारत चीन सीमा विवाद: तिब्बत में मार्शल आर्ट ट्रेनर क्यों भेज रहा है चीन?

भारत-चीन सीमा विवाद
TPG
भारत-चीन सीमा विवाद

चीन की ख़ुफ़िया और मॉनिटरिंग एजेंसियों की क्षमता के बारे में जनरल बेदी की क्या राय है?

जनरल बेदी कहते हैं, "चीन के पास संसाधन बेशक़ ज़्यादा रहे हैं. समय के साथ-साथ चीन ने अपनी सैन्य क्षमता में काफ़ी सुधार भी किया है. चीन के पास भारत के मुक़ाबले तीन-चार गुना ज़्यादा सैटेलाइट हैं. इसलिए ये स्पष्ट है कि चीन की क्षमता इस समय काफ़ी ज़्यादा है लेकिन मैं ये नहीं कहूंगा कि चीन की तुलना में हम बहुत कमी से जूझ रहे हैं. भारत ने समय के साथ अपनी क़ाबिलियत में इज़ाफ़ा किया है.''

मौजूदा वक़्त में जब भारत और चीन के बीच गहरे तनाव की स्थिति है, क्या भारत के सैटेलाइट हमें सीमा की स्पष्ट तस्वीर दे पाने में सक्षम हैं?

इस बारे में जनरल बेदी कहते हैं, "हमारे जियो-स्पेशियल संसाधनों में पिछले आठ-नौ वर्षों में बहुत बढ़त हुई है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हम उस स्तर पर पहुंच गए हैं, जहां हम चाहते हैं. सैटेलाइट ऐसे होने चाहिए जो अच्छे-बुरे हर मौसम में हमें ज़मीनी स्थिति से रूबरू करा सके."

BBC Hindi
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English summary
India-China tension: Why did India not get information about Chinese preparations?
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