India-China tension: LAC पार कर चीन के हिस्से वाली सात जगहों पर बैठी है भारतीय सेना
लेह। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी टकराव अपने छठें माह में है। छह माह के अंदर इस टकराव को टालने के लिए सात बार कोर कमांडर वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है। अब जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की तरफ से भारत से मांग की गई है कि पैंगोंग के दक्षिण में चुशुल की ऊंचाईयों से भारतीय सेना चली जाए। लेकिन भारत ने यह शर्त मानने से साफ इनकार कर दिया है। भारत की तरफ से चीन को बता दिया गया है कि उसे पैंगोंग का उत्तरी किनारा छोड़कर जाना पड़ेगा।
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सेना ने सात जगहों पर पार की LAC
भारत ने पीएलए को बताया है कि उसने उस रेखा को पार किया है जिसे एलएसी के तौर पर चिन्हित किया गया है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से बताया गया है कि चीन इस बात पर जोर डाल रहा है कि भारत को पैंगोंग त्सो का दक्षिणी हिस्सा खाली करना होगा। भारत की तरफ से लगातार अप्रैल 2020 वाली यथास्थिति को बहाल करने की मांग की गई है। सरकारी सूत्रों की मानें तो पैंगोंग के उत्तरी किनारे को भारत ने एलएसी के तौर पर मान्यता दी है। सूत्रों की मानें तो भारत की तरफ से चीनी आक्रामकता को जवाब देने के लिए सात जगहों पर एलएसी को पार किया गया था। सूत्रों ने कहा, 'हमने सात जगहों पर LAC को पार किया है। आपको क्या लगता है कि चीन क्यों लगातार वार्ता के लिए आ रहा है?' भारतीय सेना दक्षिण में चुशुल सब-सेक्टर में अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट्स से अलग कुछ और ऊंचाईयों वाली जगह पर मौजूद है। अगस्त माह से यही स्थिति है।
चीन की हर हरकत हो रही 'रिकॉर्ड'
चीन ने इन्हीं जगहों को खाली करने के लिए कहा है। पैंगोंग के दक्षिणी हिस्से में स्थित इन पोजिशन की वजह से भारत ने अब क्षेत्र में चीन पर दबाव बनाया है। भारत अब न सिर्फ स्पांगुर गैप की निगरानी कर रहा है बल्कि मोल्डो तक चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रख रहा है। एक सूत्र की तरफ से कहा गया, 'हालिया वार्ता के दौरान में चीन ने भारत से मांग की कि पहले पैंगोंग का दक्षिणी हिस्सा खाली कर दिया जाए। भारत ने कहा कि झील के दोनों हिस्सों से एक साथ सेनाएं जानी चाहिए।' पैंगोंग के दक्षिणी हिस्से पर जहां भारत की सेना मौजूद है, उसे आपसी सहमति से एलएसी माना गया है। भारत और चीन के बीच मई माह से पूर्वी लद्दाख में टकराव की शुरुआत हुई है। 12 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच चुशुल में सांतवें दौर की कोर कमांडर वार्ता हुई थी। आधिकारिक सूत्र ने बताया, 'कुछ भी हो सकता है। चीन पर विश्वास नहीं होता है। हम किसी भी स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।' सेना को सर्दियों में भी तैनात रखने के लिए हर जरूरी सामान की सप्लाई कर दी गई है। लद्दाख में लगातार तापमान गिर रहा है और दोनों पक्ष सर्दियों की मुश्किल स्थितियों के लिए तैयार हैं।