India China standoff:क्या बातचीत के बहाने एक और धोखेबाजी की तैयारी कर रहा है चीन ?
India China standoff: लद्दाख (Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से सैनिकों को हटाने को लेकर भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बातचीत में कोई सहमति नहीं बन पाई है। वैसे, खबरों के मुताबिक दोनों सेनाएं गतिरोध के 9 महीने बाद सैद्धांतिक तौर पर इसके लिए जरूर सहमत हो चुके हैं। लेकिन, जानकारी के मुताबिक जमीनी स्तर पर इसे अंजाम देने में इसलिए मुश्किल आ रही है कि इसके लिए अपनाए जाने वाले तरीके को लेकर दोनों देशों का नजरिया अलग है और चीन चाहता है कि भारतीय सैनिक पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे की चोटियों से पहले जाएं।

क्या चीन कर रहा है एक और धोखेबाजी की तैयारी?
न्यूज18 ने अधिकारियों के हवाले से दावा किया है कि भारत और चीन की सेना लद्दाख (Ladakh)में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)से सैनिकों को हटाने के लिए तो सहमत हैं, लेकिन इसके लिए दोनों देश जो तरीका अपनाना चाहते हैं, वह अलग हैं। मसलन, भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि सैनिकों को हटाने की कार्रवाई एक साथ हो, लेकिन चीनी चाहते हैं कि भारत पहले पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे (southern bank of Pangong Tso) की चोटियों से अपनी सेना को हटाए। इसकी जानकारी रखने वाले एक अधिकारी के मुताबिक, 'उन्होंने सिर्फ साउथ बैंक पर चर्चा पर ही जोर डाला। हम चाहते हैं कि टकराव के हर केंद्रों पर बात हो।' गौरतलब है कि पैंगोंग झील का यह वही इलाका है, जहां पिछले साल अगस्त के अंत में भारतीय सेना ने सभी सामरिक चोटियों पर पोजिशन लेकर पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA)के होश उड़ा दिए थे और ड्रैगन तभी से भारतीय सैनिकों को वहां से पीछे धकेलने के लिए हर तिकड़म लगा रहा है।

15 घंटे हुई कोर कमांडरों की बातचीत
गौरतलब है कि रविवार को मोलडो (Moldo) में भारतीय सेना की ओर से जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल और चीन की ओर से साउथ शिंजियांग मिलिट्री रीजन के कमांडर मेजर जनरल लियु लिन की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल के बीच करीब 15 घंटे की बातचीत हुई थी। 8वें दौर की बातचीत में भी चीन ने पैंगोंग झील से ही सैनिकों को हटाने का भरोसा दिया था। बाद में उसने अपने करीब 10,000 सैनिकों को अचानक हटाया भी था, लेकिन भारतीय अधिकारियों का मानना है कि वह सीमा विवाद को सुलझाने से ज्यादा मौसम की वजह से किया गया था। क्योंकि, एक अधिकारी का कहना है कि, 'ज्यादातर सैनिक पीछे के इलाके से हटाए थे। इस समय इलाके में तापमान माइनस 40 डिग्री सेल्सियस है, इसलिए यह असली वजह लगता है।'

सिक्किम के नाकु ला में झड़पों के बीच बातचीत
इसलिए, चीन सिर्फ पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर ही जोर दे रहा है, जबकि भारत चाहता है कि अप्रैल, 2020 वाली यथास्थिति बहाल हो। अब अगर भारत और चीन के बीच सहमति बनेगी तभी चरणबद्ध तरीके से पैंगोंग के पास की चोटियों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी, जहां दोनों एकदम आमने-सामने की स्थिति में तैनात हैं। अधिकारियों के मुताबिक जब एकबार सेनाएं हट जाएंगी, तभी पेट्रोलिंग का रास्ता निकलेगा। गौरतलब है कि पिछले साल अप्रैल से चीनी सेना भारतीय सेना को फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग के लिए नहीं जाने दे रही है। चीन के साथ कोर कमांडर स्तर की यह बातचीत ऐसे समय में भी हुई है, जब सिक्किम के नाकु ला (Naku La in Sikkim) में दोनों सैनिकों के बीच ताजा झड़पें हुई हैं।

चीन को खटक रही है भारतीय सैनिकों की मजबूत स्थिति
चीन की चालबाजियों का जो इतिहास रहा है, उसपर यकीन करके पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण चोटियों से पहले पीछे हटने के लिए भारतीय सेना कभी भी तैयार नहीं हो सकती। क्योंकि, चीन दगाबाजी का मास्टर है और ऐसा प्रस्ताव रखने के पीछे उसका इरादा कुछ भी हो सकता है। वैसे भी सच्चाई यही है कि जबसे पैंगोंग झील की दक्षिण चोटियों पर भारतीय स्पेशल कमांडोज ने अपने सैनिकों को पोजिशन दिलाई है, चीनी सैनिकों के मनोबल पर उसी वक्त से पानी फिरा हुआ है और इसका बदला लेने के लिए वह कोई भी साजिश रच सकता है। (तस्वीरें-फाइल)