लद्दाख में बस 30 किलोमीटर दूर उड़ान भर रहे हैं चीनी जेट, कश्मीर से रवाना किए गए जवान!
नई दिल्ली। एक रिपोर्ट के मुताबिक ईस्टर्न लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं की तरफ से भारी उपकरण और हथियार जिसमें आर्टिलरी और कॉम्बेट व्हीकल्स शामिल हैं, तैनात कर दिए हैं। ये तैनाती पूर्वी लद्दाख के विवादित हिस्सों में हुई है। पिछले 25 दिनों से दोनों देशों के बीच लद्दाख में टकराव की स्थिति जारी है।भारत और चीन के रक्षा और विदेश मंत्रालय के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में जारी टकराव को टालने के लिए राजनयिक स्तर पर वार्ता जा रही है। लेकिन जो खबरें आ रही हैं, उसपर अगर यकीन करें तो पूर्वी लद्दाख में स्थिति ठीक नहीं है। ऐसी खबरें भी हैं पूर्वी लद्दाख से बस 30 किलोमीटर दूर ही चीन के फाइटर जेट्स उड़ान भर रहे हैं।
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चीन के J-7 और J-11 जेट्स तैनात
सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पूर्वी लद्दाख से बस 30 से 35 किलोमीटर दूर चीन के जेट्स होतान और गारगुनसा एयरबेसेज से उड़ान भर रहे हैं। भारत की तरफ से पहले ही कहा जा चुका है कि पूर्वी लद्दाख में इन एयरबेसेज पर करीब से नजर रखी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक 10 से 12 चीनी फाइटर जेट्स को होतान और गारगुनसा एयरफोर्स बेस में हैं। ये इलाके पूर्वी लद्दाख के काफी करीब हैं। सूत्रों की ओर दी गई जानकारी पर अगर यकीन करें तो दोनों एयरबेसेज पर 10 से लेकर 12 की संख्या में जे-7 और जे-11 फाइटर जेट्स मौजूद हैं। हालांकि बॉर्डर से इन्होंने दूरी बनाकर रखी है और कोई खतरा नहीं है लेकिन फिर भी कोई चांस नहीं लिया जा रहा है। भारत-चीन सीमा पर इस समय आईएएफ ने सर्विलांस को बढ़ा दिया है।
ट्रक में जवानों को भेजा जा रहा LAC पर
भारत और चीन के बीच तनाव लगातार 26वें दिन भी जारी है। बॉर्डर पर उड़ान भरते जेट्स के अलावा ऐसी खबरें भी आ रही हैं ट्रकों में सैनिक, मशीन और सप्लाई को गलवान घाटी में भेजा जा रहा है। सेना से जुड़े सूत्रों की मानें तो कश्मीर से अब लद्दाख में जवानों को भेजा जा रहा है। एक सीनियर ऑफिसर के मुताबिक लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) से एलएसी पर जवानों को स्थानांतरण बहुत ही कठिन परिस्थितियों में होता है और अब स्थितियां काफी मुश्किल हो चुकी हैं। इस सीनियर ऑफिसर के मुताबिक कमांड और कोर लेवल पर जवानों को रखा गया है ताकि उन्हें कश्मीर में जारी ऑपरेशंस को प्रभावित किए बिना एलएसी की तरफ भेजा जा सके।
रोजाना 80 से 90 ट्रकों के गुजरने का दावा
कहा जा रहा है कि जवानों को इसलिए भेजा जा रहा है ताकि चीन पर कुछ दबाव बढ़ाया जा सके। दारबुक गांव के लोग जो दोनों देशों की सीमाओं के एकदम करीब हैं, उनका दावा है कि रोजाना रात को 80 से 90 ट्रक उनके इलाके से गुजरते हैं। इस काफिले में सेना के व्हीकल्स के अलावा असैन्य वाहन भी होते हैं। इनमें जवानों के अलावा हथियार और बाकी जरूरी सामान होता है। इस बीच ग्लोबल टाइम्स में आए एक आर्टिकल के जरिए भारत को धमकाया गया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक भारत के खिलाफ लड़ाई के ऊंचाई वाले इलाकों के लिए टाइप 15 टैंक्स, Z-20 हेलीकॉप्टर्स और GJ-2 ड्रोन को भेजा गया है।
भारत ने कहा यथास्थिति बहाल करो
चीन की सेना की तरफ से पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के करीब आर्टिलरी यानी तोप और मशीन गन के साथ ही युद्धक वाहनों के साथ ही मिलिट्री उपकरण तैनात किए गए हैं। चीनी सेना के अलावा भारतीय सेना की तरफ से चीन को जवाब देने के लिए भारी हथियार तैनात कर दिए गए हैं। सूत्रों की मानें तो भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि जब गलवान घाटी और पैंगोंग झील पर यथास्थिति को बहाल नहीं किया जाता, तब तक सेना के जवान पीछे नहीं हटेंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि चीनी सेना की तरफ से पैंगोंग झील और गलवान घाटी में करीब 2500 जवानों को तैनात कर दिया गया है। इसके अलावा वह यहां पर लगातार अस्थायी ढांचे को मजबूत कर रहा है। अभी तक हालांकि इस बात की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है कि कितने जवान इस इलाके में तनात हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने दी भारत को धमकी
ग्लोबल टाइम्स ने भारत को धमकाया है कि वह अमेरिका-चीन के बीच जारी शीत युद्ध से दूर रहे। अखबार ने लिखा है, 'नए शीत युद्ध में भारत का झुकाव या अमेरिका के लिए है या फिर वह अमेरिका का मोहरा बनकर चीन पर हमला करना चाहता है, यह जान ले कि इससे दोनों एशियाई पड़ोसियों के बीच आर्थिक संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए इस समय इतना बड़ा झटका बहुत नुकसानदायक हो सकता है।' एक सीनियर ऑफिसर के मुताबिक इस तरह की बातें चीन की तरफ से असुरक्षा की भावना की वजह से आ रही हैं। भारत और चीन दोनों की तरफ से ही कहा गया है कि समस्या को सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता जारी है।