जानिए लद्दाख के उस हिस्से के बारे में जहां IAF की मौजूदगी से परेशान हो गया चीन
नई दिल्ली। फिर से चीन और भारत के रिश्ते तल्ख हो गए हैं और फिर से दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव है। साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद तीन साल बाद फिर से वही स्थिति पैदा हो गई है। इस बार चीन लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर से गलवान घाटी तक जाने वाली सड़क को लेकर खफा है। 2017 से पहले साल 2013 में भी चीन ने ऐसी ही हिमाकत की थी। उस समय तो चीनी सैनिक लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर तक आ गए थे। यहां पर उन्होंने टेंट लगा लिए थे और बड़ी मशक्कत से उन्हें हटाना पड़ा।
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अप्रैल 2013 में दाखिल हो गई थी चीनी सेना
अप्रैल 2013 में में चीनी सैनिकों ने बाकायदा घुसपैठ करके यहां पर अपना झंडा गाड़ा और एक बैनर लगाया। इस बैनर पर लिखा था, 'आप चीन सीमा में हैं,वापस जाइए।' दौलत बेग ओल्डी सेक्टर लद्दाख में है और इसका नाम सुल्तान सईद खान के नाम पर पड़ा। लद्दाख और कश्मीर पर आक्रमण के बाद जब वह वापस लौट रहे थे तभी उनकी मौत यहां पर हुई। दौलत बेग ओल्डी पर एक हवाई पट्टी है और यह दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई 16,614 फीट पर स्थित है। साल 2013 में चीनी सेना यहां पर जब दाखिल हुई तो हर कोई चौंक गया था।
LAC से बस आठ किलोमीटर दूर
डीबीओ, काराकोरम रेंज के एकदम करीब है और उत्तर भारत को सबसे ठंडा हिस्सा है। यहां से चीन की सीमा दक्षिण में बस आठ किलोमीटर और अक्साई चिन के उत्तर पश्चिम से बस नौ किलोमीटर की दूरी पर है। इसके करीब ही इंडियन आर्मी का सियाचिन बेस है। साल 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने सबसे पहले लेह से डीबीओ को जोड़ने वाली सड़क निर्माण की योजना का ऐलान किया था। इस हिस्से में तापमान सर्दियों में -55 डिग्री से नीचे तक चला जाता है। न तो इस हिस्से पर जंगली जानवर हैं और न ही किसी प्रकार के पेड़ पौधे।
43 साल बाद IAF ने बेस को किया ऑपरेशनल
साल 2013 में चीनी घुसपैठ के बाद इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने यहां पर अपने बेस को ऑपरेशनल किया। उस समय सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-130 हरक्यूलिस को लैंड कराया गया था। इससे पहले भारत ने पहले सन् 1962 और फिर 1965 में अपने एयरक्राफ्ट लैंड कराए थे। करीब 43 साल बाद आईएएफ ने अपने बेस को ऑपरेशनल किया और आज भी यह पूरी तरह से ऑपरेशनल है।
वायुसेना के लिहाज से कमजोर है चीन
भारत और चीन दोनों ही देशों के पास बड़ी सेनाएं है और चीन की थल सेना और भारत की थल सेना में संख्या के हिसाब से मामूली अंतर है, लेकिन वायुसेना की ताकत के लिहाज से आईएएफ को चीन से मजबूत माना जाता है। 2013 की घटना से पहले चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तक सड़कें बनाना शुरू किया। इसके बाद भारत ने एलएसी के करीब अपनी तीन एयर स्ट्रिप का निर्माण किया। चीन जानता है कि आईएएफ के एलएसी के करीब होने से युद्ध के समय उसे भारी नुकसान हो सकता है।