India-China: 15 जून को जहां हुई थी हिंसा अब वहां शांति, 1.5 किलोमीटर के दायरे में 30 चीनी सैनिक
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के तेवरों में थोड़ी नरमी नजर आनी शुरू हो गई है। सेना के सूत्रों की तरफ से सोमवार को जानकारी दी गई है कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने अपने टेंट्स, व्हीकल्स और जवानों को 1-2 किलोमीटर तक पीछे कर लिया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 पर दोनों देशों के जवान 1.8 किलोमीटर तक पीछे गए हैं। यह वही जगह है जहां पर 15 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी।
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अगले कुछ दिनों में पूरी होगी प्रक्रिया
30 जून को भारत और चीन के बीच तीसरी कोर कमांडर वार्ता हुई थी। सोमवार को जिन लोकेशंस से जवानों के पीछे हटने की खबरें आई हैं, उन पर ही इस मीटिंग में रजामंदी बनी थी। सेना सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि आपसी रजामंदी पर डिसइंगेजमेंट पर दोनों सेनाएं 1 से 1.5 किलोमीटर दूर तक पीछे हट गई हैं। दोनों देशों के बीच अगले कुछ दिनों में एक और दौर कोर कमांडर वार्ता हो सकती है और यह वार्ता डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी होने के बाद होगी। भारत और पीएलए के जवान हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट से पीछे हटने लगे हैं। अगले कुछ दिनों में इस प्रक्रिया के पूरा हो जाने की उम्मीद है। चीनी सेना ने सोमवार से अपने स्ट्रक्चर्स को हटाना शुरू कर दिया है।
दोनों सेनाएं 1.8 किमी तक पीछे
इंडियन एक्सप्रेस ने सेना के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पीपी 14 पर चीन का मिलिट्री कैंप जिसे 15 जून की हिंसा के बाद फिर से तैयार कर लिया गया था, अब पूरी तरह से उसे हटा दिया गया है। साथ ही सभी टेंट्स भी हटा लिए गए हैं। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के बाकी जवान और सारा साजो-सामान भी व्हीकल्स में भर कर वापस चला गया है। एक सीनियर ऑफिसर की तरफ से बताया गया है कि दोनों देशों की सेनाओं पीपी 14 से 1.8 किलोमीटर पीछे हटी हैं। बताया जा रहा है कि अभी दोनों तरफ से 30-30 जवान हर टेंट में मौजूद हैं। इसके बाद करीब एक किलोमीटर की दूरी पर दोनों देश हर टेंट में 50-50 सैनिक रखने पर राजी हुए हैं।
हो सकती है एक और कोर कमांडर वार्ता
कुछ और किलोमीटर दूर दोनों पक्ष भारी संख्या में जवान रखने पर राजी हुए हैं। सेना सूत्रों की मानें तो वैरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बंकर्स से लेकर टेंट्स तक दोनों तरफ से सब हटा दिए गए हैं। पीपी 14 की दो किलोमीटर दूरी तक दोनों सेनाओं का एक भी सैनिक फिलहाल नहीं है। इसके अलावा जब तक दोनों पक्ष रजामंद नहीं होते तब तक पेट्रोलिंग भी नहीं होगी। अब सारा ध्यान पीपी15 और पीपी 17A यानी गोगरा पोस्ट जो हॉट स्प्रिंग्स एरिया में है उस पर है। पीपी 17A पर दोनों तरफ से करीब 1500 सैनिक मौजूद हैं। यह जगह पीपी 14 से 40 से 50 किलोमीटर दूर है। माना जा रहा है कि भारत और चीन के बीच एक और दौर की कोर कमांडर वार्ता हो सकती है।
बफर जोन से पीछे गईं सेनाएं
सोमवार को जो खबरें आईं उसके मुताबिक सूत्रों की ओर से बताया गया है कि भारत और चीन दोनों की ही सेनाएं बफर जोन से एक किलोमीटर से ज्यादा पीछे हो गई हैं। गलवान घाटी में यह वही जगह है जहां पर 15 जून को भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प हिंसक हो गई थी। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। सूत्रों की मानें तो भारत ने भी गलवान में बफर जोन से अपने जवानों को पीछे करना शुरू कर दिया है। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनांए कई हिस्सों पर आमने-सामने हैं। बफर जोन एलएसी का वह हिस्सा है जो किसी प्रकार के टकराव को टालने के मकसद से बनाया गया है।