भारत-चीन के रिश्ते नए मोड़ पर, जो रास्ता चुनेंगे उसका पूरी दुनिया पर असर होगा- जयशंकर
S Jaishankar On India-China Relations: नई दिल्ली। चीन के साथ तमाम मतभेदों के बावजूद सीमा पर शांति बनी रही और यही वजह है कि लेकिन 2020 में लद्दाख में गलवान में हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के रिश्तों में भारी तनाव है। इस तनाव को लेकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चाइना स्टडीज के 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन में चर्चा की है।
अब तक रही है शांति- जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ तमाम मतभेदों और असहमतियों के बावजूद मुख्य बात यह है कि सीमा क्षेत्र अभी तक मूल रूप से शांतिपूर्ण रहा है। 2020 में संघर्ष में जवानों की जान जाने से पहले आखिरी बार इस तरह की घटना 1975 में हुई थी। यही वजह है कि पिछले साल पूर्वी लद्दाख में हुई घटनाओं ने इन रिश्तों को पूरी तरह झकझोर दिया। क्योंकि उन्होंने (चीन) न केवल सैनिकों को कम रखने की प्रतिबद्धता की उपेक्षा की बल्कि शांति और स्थिरता को भंग करने की इच्छा भी जाहिर की।
सम्मेलन में उन्होंने आगे कहा "भारत-चीन के रिश्ते सही मायने में आज चौराहे पर खड़े हैं। दोनों जो रास्ता चुनेंगे वह केवल दोनों पर ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर गहरा असर डालेंगे।"
आमने-सामने
सेनाएं
भारत
और
चीन
की
सेनाएं
पिछले
साल
से
पूर्वी
लद्दाख
में
एलएसी
पर
आमने-सामने
डटी
हुई
हैं।
तनाव
को
लेकर
8
महीने
बीत
चुके
हैं
और
9
दौर
की
कमांडर
स्तर
की
बातचीत
भी
हो
चुकी
है
लेकिन
कोई
ठोस
हल
नहीं
निकल
पाया
है।
पिछले
साल
गलवान
में
हिंसक
संघर्ष
में
20
भारतीय
जवानों
की
मौत
के
बाद
स्थिति
अधिक
बिगड़ी।
इस
हिंसा
में
चीन
के
भी
40
से
अधिक
जवान
मारे
गए
थे।
हालांकि
चीन
ने
कभी
इसकी
पुष्टि
नहीं
की
लेकिन
चीन
के
सरकारी
मीडिया
आउटलेट
के
एक
सम्पादक
ने
जवानों
की
मौत
की
बात
स्वीकार
की
थी।
दोनों
देशों
के
कॉर्प्स
कमांडर
ने
9वें
दौर
की
बातचीत
के
लिए
पिछले
हफ्ते
ही
चुशुल
क्षेत्र
में
बैठक
की
थी।
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