India-China standoff: सेना को बॉर्डर पर चीन के खिलाफ हर जरूरी कदम उठाने की मंजूरी, दिल्ली से मिला ग्रीन सिग्नल
नई
दिल्ली।
भारत
और
चीन
के
बीच
पूर्वी
लद्दाख
में
जारी
टकराव
अब
सांतवें
हफ्ते
में
दाखिल
हो
चुका
है।
दोनों
देशों
के
बीच
मिलिट्री
और
राजनयिक
स्तर
की
वार्ता
जारी
है।
सोमवार
को
भी
इसी
तरह
की
एक
और
वार्ता
हुई
है
मगर
इसका
कोई
भी
नतीजा
नहीं
निकल
सका
है।
इस
बीच
सूत्रों
की
ओर
से
जो
जानकारी
आ
रही
है,
उसके
मुताबिक
सेना
को
निर्देश
दे
दिए
गए
हैं
कि
वह
अपनी
जरूरत
के
हिसाब
से
ही
फैसले
ले।
सरकारी
के
उच्च
सूत्रों
के
हवाले
से
इंडियन
एक्सप्रेस
ने
लिखा
है
कि
भारत
तब
तब
अपने
जवानों
को
तैनात
रखेगा
जब
तक
कि
इस
मसले
को
कोई
हल
नहीं
निकल
आता
है।
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एक्शन के लिए केंद्र सरकार की हां जरूरी नहीं
चीन ने क्षेत्र की यथास्थिति को बदल दिया है और साथ ही अतिरिक्त जवान तैनात कर दिए हैं। भारत ने भी अपनी ताकत को बढ़ाया है क्योंकि सूत्रों के मुताबिक जब तक ताकत नहीं बढ़ाई जाएगी तब तक चीन वार्ता के लिए तैयार नहीं होगा। सेना सूत्रों की मानें तो आक्रामकता दिखाने की जरूरत नहीं है बल्कि शक्ति प्रदर्शन की जरूरत है। ऐसे में सेना को निर्देश दे दिए गए हैं कि वह स्थितियों के मुताबिक आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करे। सेना से जुड़ी करीबी सूत्रों ने बताया है, 'सेना को तैनाती के लिए आपातकालीन ताकत दे दी गई है। अब नई स्थिति के मुताबिक बिना दिल्ली की तरफ देखें हम फैसला ले सकते हैं।'
पहले चीनी जवान पीछे हटें, तब होगी बात
दोनों देशों के बीच अब अगले दौर की लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता तभी होगी जब गलवान और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र पेट्रोलिंग प्वाइंट्स (पीपी) 14, 15 और 17 से चीनी जवान पीछे हटेंगे। छह जून को 14 कोर के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने चीन के साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रीक्ट कमांडर मेजर जनरल ल्यू लिन से चुशुल-मोल्डो बॉर्डर प्वाइंट पर मुलाकात की थी। दोनों देशों के बीच अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है और अब अगले दौर की मीटिंग की तैयारी की जा रही है। रक्षा सूत्रों की मानें तो चीनी अगले दौर की बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन भारत की तरफ से अभी मीटिंग से पहले पीपी 14, 15 और 17A पर जवानों के पीछे हटने का इंतजार किया जा रहा है। जबकि भारत वार्ता से पहले चीन की तरफ से जवानों को पीछे हटने का इंतजार कर रहा है।
आर्मी चीफ बोले- बेहतर होगी स्थिति
शनिवार को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि गलवान इलाके से जवानों का पीछे हटना शुरू हो गया है लेकिन दोनों पक्ष एक चरणबद्ध तरीके सेजवानों को पीछे करने की प्रक्रिया पूरी करेंगे। इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) में पासिंग आउट परेड से अलग जनरल नरवणे ने मीडिया से कहा कि आने वाले दिनों में स्थिति बेहतर होगी। उन्होंने बताया था कि गलवान नदी के उत्तर से जवान हटने शुरू हो गए हैं और यही वह जगह है जहां पर सबसे ज्यादा स्थिति बिगड़ी थी। हालांकि उन्होंने पैंगोंग झील के आसपास जारी स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर टकराव जारी है।
पैगोंग झील पर जमे हैं जवान
सूत्रों की मानें तो अभी तक भारत और चीन के बीच हो रही मीटिंग में पैंगोंग झील का मसला कैसे सुलझेगा, इस पर रजामंदी नहीं बन पा रही है।सूत्रों की मानें तो चीन पहले गलवान इलाके में हालात को सुलझाना चाहता है। ऐसे में अभी पैंगोंग झील पर कोई बात नहीं हो रही है। कहा जा रहा है पूर्वी लद्दाख पर इस हिस्से के हालात को सामान्य करने के लिए उसी तरह से कोर कमांडर स्तर की वार्ता होगी, जैसी छह जून को हुई थी। शुक्रवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत का एक दौर पूरा हुआ है।
फिंगर 4 तक मौजूद चीनी जवान
इस वार्ता में गलवान इलाके में जारी तनाव पर बात हुई है। कहा जा रहा है कि इस इलाके में दोनों तरफ से सेनाएं बरकरार हैं। यह वही हिस्सा है जहां पर चीनी सेना भारत के नियंत्रण वाले हिस्से में कैंप लगाए हुए हैं। चीन की सेना फिंगर 4 पर मौजूद है और वह यहां की स्थिति बदलने की कोशिश कर रहा है। भारत फिंगर आठ तक अपनी सीमा का दावा करता है लेकिन अब फिंगर 4 पर मौजूद हैं और भारतीय जवानों को आगे नहीं जाने दे रहे हैं। एक बार जब तीन इलाकों में जारी टकराव का हल निकलेगा तो उसके बाद कोर कमांडर स्तर की वार्ता होगी जिसमें पैंगोंग झील पर स्थिति का हल तलाशने वाला विकल्पों पर चर्चा की जाएगा।