लिपुलेख दर्रे से भी इस साल नहीं होगा भारत-चीन सीमा व्यापार, पिथौरागढ़ प्रशासन ने किया ऐलान
नई दिल्ली। इस साल भारत-चीन के बीच सीमा व्यापार (बॉर्डर ट्रेड) नहीं होगा। हर साल एक जून को भारत-चीन बॉर्डर ट्रेड उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में लिपुलेख दर्रे से हर होता है। इस साल कोरोना वायरस के फैलने के चलते इसे रद्द कर दिया गया है। पिथौरागढ़ के जिला मजिस्ट्रेट ने बताया है कि कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान ये व्यापार होता था लेकिन इस साल ये यात्रा भी रद्द है और सीमा व्यापार भी नहीं होगा।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि व्यापार स्थगित होने से करीब आठ सौ से एक हजार अधिक लोगों की आजीविका सीधे प्रभावित होगी। सीमांत के व्यापारियों को पूरे साल इस कारोबार का इंतजार रहता है। 2019 में भारत चीन सीमा व्यापार में 1 करोड़ 91 लाख रुपए का आयात और 1 करोड़ 25 लाख के सामान का निर्यात हुआ था।
वहीं साल 1981 से निरंतर चली आ रही कैलास मानसरोवर यात्रा 39 साल के इतिहास में पहली बार पूरी तरह स्थगित की जा रही है। उत्तराखंड से होने वाली कैलास यात्रा में हर साल 900 से अधिक लोग शामिल होते आए हैं।
इससे पहले अप्रैल में ही सिक्किम सरकार ने एलान कर दिया था कि कोरोना वायरस के कारण इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा और नाथू ला दर्रे के जरिए भारत तथा चीन के बीच सीमा व्यापार नहीं होगा। नाथू ला दर्रे के जरिए सीमा व्यापार मई में, जबकि इस मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा जून में होता है। भारत और चीन के बीच कारोबार के बीच तीन बॉर्डर ट्रेडिंग प्वॉइंट अहम हैं, इनमें नाथू ला पास (सिक्किम), शिप्की ला पास (हिमाचल प्रदेश) और लिपुलेख पास (उत्तराखंड) हैं।
भारत और चीन के बीच नाथुला दर्रा के रास्ते बॉर्डर ट्रेड 40 साल बाद 2006 में खुला था। जबकि इस रास्ते से कैलाश मानसरोवर यात्रा दो साल पहले शुरू हुई थी। सिक्किम सरकार का कहना है कि उनके टूरिज्म सेक्टर को इस साल कोरोना वायरस की वजह से 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान है।
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