लद्दाख में उलझाकर कहीं अरुणाचल प्रदेश में कोई बड़ी साजिश तो नहीं रच रहा है चीन
नई दिल्ली- अरुणाचल प्रदेश से जो 5 लड़के चीन की ओर चले (कथित तौर पर अगवा हुए थे) गए थे, उनकी तो सकुशल वापसी हो गई है। लेकिन, इस घटना ने एक बहुत गंभीर सवाल पैदा कर दिया है। पिछले कुछ समय से इलाके में चीन जिस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया जा रहा है, उससे लगता है कि उसके दिमाग में अरुणाचल प्रदेश के लिए कुछ खौफनाक साजिश चल रही है। जब भी भारत की कोई बड़ी संवैधानिक शख्सियत वहां पहुंचती है तो चीन यह जताने की कोशिश करता है कि भारत सही संदेश नहीं दे रहा। ऊपर से अब उसकी ओर से उस इलाके में तकनीक या दूसरे माध्यमों से घुसपैठ करके लोगों की मानसिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर ब्रेनवॉश करने की कोशिशे शुरू हो चुकी हैं। हाल की घटना को भी उसी नजरिए से देखा जा सकता है।
अरुणाचल में कोई बड़ी साजिश तो नहीं रच रहा है चीन
शनिवार को अरुणाचल प्रदेश से यह राहत भरी खबर आई कि चीनी सैनिकों ने कथित तौर पर अगवा किए गए 5 भारतीय युवाओं को सुरक्षित भारतीय सेना के हवाले कर दिया है। लेकिन, इस बात के भी संदेह हैं कि कहीं पीएलए ने अपने कब्जे में रखने के दौरान इन पांचों भारतीयों को साम्यवाद की पट्टी पढ़ाने की कोशिश तो नहीं की। क्योंकि, भारतीयों को अपनी जाल में फांसने की फितरत पीएलए के एजेंडे में शामिल रहा है। इंडिया टुडे के एक लेख में रक्षा विशेषज्ञ कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड) ने भी कहा है कि हो सकता है कि भारतीय युवाओं को पीएलए ने ब्रेनवॉश करने की कोशिश की हो और हनी-ट्रैपिंग के जरिए उन्हें चीनी साम्यावाद की घुट्टी पिलाई गई हो। इसके लिए उन्हें ज्यादा माथा खपाने के भी जरूरत नहीं है और इसके लिए युवाओं को पब में भेजकर युवतियों को इन्हें बहकाने के लिए वो मजबूर भी किया जा सकता है और यह उनका पुराना धंधा रहा है। (पहली तस्वीर सौजन्य: किरेन रिजिजू ट्विटर)
हनी-ट्रैपिंग का धंधेबाज रहा है चीन
चीन के लिए हनी-ट्रैपिंग कोई नई चीज नहीं है। कर्नल भट के मुताबिक पीएलए भारतीयों और खासकर सेना के लोगों को बहकाने के लिए तिब्बती महिलाओं को धमकाने के लिए कुख्यात रही है। खासकर अरुणाचल प्रदेश के सीमा वाला इलाका इतना खुला हुआ है कि चीन की सेना और उसकी इंटेलिजेंस एजेंसियों को हर तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम देना काफी आसान हो जाता है। दरअसल, चीन ने अब यह रणनीति बना ली है कि अरुणाचल प्रदेश जैसे जो इलाके कभी उसका हिस्सा रहे ही नहीं, उसपर भी वह अपना रह-रहकर दावा जताने लगा है। इसके जरिए उसकी एक कोशिश तो यह है कि अक्साई चीन और शाक्सगाम घाटी जिसपर उसने अवैध कब्जा कर रखा है, उसपर भारत सवाल ना उठाए। यही नहीं वह यह भी चाहता है कि भारत पीओके से होकर गुजरने वाली चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीईपीसी) में भी किसी तरह का अड़ंगा ना लगाए। (दूसरी तस्वीर सौजन्य: ट्विटर)
स्थानीय लोगों में गलतहमियां पैदा करने की चाल
चीन की रणनीति में यह बात भी शामिल है कि वह किसी इलाके पर झूठे दावे करने के लिए उसका नाम बदलना शुरू कर देता है। मसलन, चीन के विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता झाओ लिजियान ने हाल ही में नया शिगूफा छोड़ते हुए कहा था कि उसने 'तथाकथित अरुणाचल प्रदेश ' को कभी भी मान्यता दी ही नहीं है। यही नहीं खुद पाकिस्तान में फर्जी 'मोहम्मद' की पहचान से रह चुके लिजियान ने अरुणाचल प्रदेश को 'जान्गनान' नाम से बुलाया, जिसका अर्थ होता है दक्षिणी तिब्बत। अरुणाचल प्रदेश को उसके फर्जी नाम से बुलाने के लिए पीएलए की साइबर यूनिट ने एक अलग अभियान भी चला रखा है। इसके बाद चीन स्थानीय लोगों को कौड़ियों के भाव वाले मोबाइल देकर नई टेक्नोलॉजी के जरिए इस नाम को उनके दिलो-दिमाग में घुसाने की भी कोशिशों में लगा हुआ है। चीन के खौफनाक मंसूबे का पता इससे चलता है कि उसने अरुणाचल प्रदेश के लिए जो फर्जी नाम ('जान्गनान') दिया है, वह स्थानीय आदिवासियों की भाषा के उच्चारणों से मेल खाते हैं, जिसके जरिए वह आसानी से गलतफहमियां पैदा करने की चाल चल रहा है।
सस्ती शराब और ड्रग्स का गोरखधंधा
नशीली पदार्थों खासकर अफीम के बेजा इस्तेमाल के लिए चीन लंबे वक्त से कुख्यात रहा है। वहां हमेशा से घर-घर में ड्रग्स का उपयोग होता आया है। वह तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के समाज में भी यही जहर घोलना चाहता है। सीमा की पुख्ता बाड़ेबंदी नहीं होने से वह इसका पूरा नाजायज फायदा उठा रहा है। अरुणाचल प्रदेश में सस्ती मोबाइल की तरह ही सस्ती चाइनीज शराबों की भी भरमार होती है। चीन की 'दाली' बीयर और 'माओताई' दारू की इस इलाके में बहुत ज्यादा मांग है। मतलब, वह ना केवल हमारी जमीन पर नजरें डाले बैठा है, बल्कि हमारी आबादी के विचारों पर भी हमला करने में लगा हुआ है। भोले-भाले आदिवासियों को इन नशीली चीजों का आदी बनाना उसके लिए बहुत आसान है। यही नहीं, वह उत्तरपूर्व के लोगों को गुमराह करने के लिए ईजी मनी का झांसा देकर भी अपना उल्लू-सीधा कर रहा है। हाल ही में एक चीनी हवाला कारोबारी चार्ली पेंग को पकड़ा गया है, जो रोजाना 3 करोड़ रुपये की लेन-देन कर रहा था।
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