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LAC पर नहीं चलेगी कोई गोली, इस पर 1993 में हुआ था भारत-चीन के बीच एक समझौता

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नई दिल्‍ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी टकराव को टालने के लिए कोर कमांडर स्‍तर पर वार्ता जारी है। जून 2017 के बाद दोनों देशों के बीच तनाव यहां तक पहुंचा है और इस बार यह काफी गंभीर है। चीनी सेना पैंगोंग त्‍सो में फिंगर 4 तक आ गई है। इसका हल कब आएगा फिलहाल सबकी नजरें इस पर‍ ही टिकी हैं। इस पूरे विवाद में आपको उस एक ऐसे समझौते के बारे में जानना काफी जरूरी है जो सन् 1993 में उस समय हुआ था जब पीवी नरसिम्‍हा राव देश के प्रधानमंत्री थे और चीन की यात्रा पर गए थे।

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1993 में नरसिम्‍हा राव गए थे चीन

1993 में नरसिम्‍हा राव गए थे चीन

भारत का मानना है कि चीन के साथ लगी एलएसी करीब 3,488 किलोमीटर की है, जबकि चीन का कहना है यह बस 2000 किलोमीटर तक ही है। सन् 1991 में तत्‍कालीन चीनी पीएम ली पेंग भारत दौरे पर आए थे। यहां पर तत्‍कालीन भारतीय पीएम पीवी नरसिम्‍हा राव ने ली के साथ एलएसी शांति और स्थिरता बनाए रखने की अहमियत पर जोर दिया था।इसी समय भारत ने औपचारिक तौर पर एलएसी की संकल्‍ना को स्‍वीकार कर लिया था।इसके बाद राव सन् 1993 में चीन के दौरे पर गए और इसी दौरान दोनों देशों के बीच एलएसी पर शांति बरकरार रखने के लिए एक समझौतस साइन हुआ था। इस समझौते के तहत नौ बिंदुओं पर आम सहमति बनी थी जिसमें से आठ बहुत महत्‍वपूर्ण माने गए थे। समझौते को भारत के तत्‍कालीन विदेश राज्‍य मंत्री आरएल भाटिया और तत्‍कालीन चीनी उप विदेश मंत्री तांग जियाशुआन ने साइन किया था।

शांतिपूर्ण तरीके से समस्‍या सुलझाने पर जोर

शांतिपूर्ण तरीके से समस्‍या सुलझाने पर जोर

भारत-चीन सीमा के प्रश्न को शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण परामर्श के जरिए हल किया जाएगा। किसी भी जरिए से दूसरे पक्ष के खिलाफ बल या सेना प्रयोग की धमकी देने या इसके प्रयोग की धमकी नहीं दी जाएगी। दोनों पक्ष सख्ती से सीमा का सम्मान करेंगे और दोनों देशों के बीच स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं की गतिविधियां वास्तविक नियंत्रण रेखा से आगे नहीं बढ़ेंगी। अगर एक पक्ष के जवान वास्तविक नियंत्रण की रेखा को पार करते हैं, तो दूसरी तरफ से सावधानी बरतने पर, वे तुरंत वास्‍तवित नियंत्रण रेखा में वापस चले जाएंगे। जब जरूरी हो तो दोनों पक्ष संयुक्त रूप से वास्तविक नियंत्रण की रेखा के हिस्‍सों की जांच और जहां पर उनके मतभेद हैं, उसका निर्धारण किया जाएगा।

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कम से कम जवानों को रखने की बात

कम से कम जवानों को रखने की बात

दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण और अच्छे पड़ोसी संबंधों के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हर पक्ष कम से कम सैन्य बल रखेगा। दोनों पक्षों के बीच वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर आपसी और समान सुरक्षा की भावना के सिद्धांत के साथ आपसी सहमति होनी जरूरी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य बलों की कमी की सीमा, इसका प्रसार, समय और स्‍वभाव देशों के बीच आपसी सलाह-मशवरे की मदद से निर्धारित होगा। सैन्य बलों की कटौती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से सहमत भौगोलिक स्थानों सेक्टर्स में चरणों के तहत होगी।

मिलिट्री एक्‍सरसाइज की जानकारी देना जरूरी

मिलिट्री एक्‍सरसाइज की जानकारी देना जरूरी

  • दोनों पक्षप्रभावी विश्वास बहाली के उपायों के माध्यम से वास्तविक नियंत्रण रेखा के इलाकों में काम करेंगे। आपसी सहमति से पहचाने गए क्षेत्रों में कोई भी पक्ष सैन्य अभ्यास के स्तर पर कार्य नहीं करेगा। हर पक्ष इस समझौते के तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अलग-अलग स्तरों के सैन्य अभ्यास की पूर्व सूचना देगा।
  • वास्तविक नियंत्रण रेखा के इलाकों में अगर कोई आकस्मिक घटना होती है या फिर कोई और समस्‍या पैदा होती है तो फिर दोनों देशों के बॉर्डर पर्सनल यानी सीमा जवान के बीच मीटिं और और मैत्रीपूर्ण परामर्श के माध्यम से उनसे निबटने पर जोर दिया जाना चाहिए। सेनाओं के बीच इस तरह की बैठकों और कम्‍यूनिकेशन के माध्यमों को दोनों पक्षों की तरफ से सहमति मिलनी चाहिए।
एयरफोर्स नहीं क्रॉस करेगी LAC

एयरफोर्स नहीं क्रॉस करेगी LAC

दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय करने पर सहमत हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों तरफ से हवाई घुसपैठ न हो और अगर ऐसी घुसपैठ होती है तो फिर आपसी विचार-विमर्श से इसे सुलझाना होगा। दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण की रेखा पर स्थित क्षेत्रों में एयर एक्‍सरसाइज या हवाई अभ्यास पर संभावित प्रतिबंधों पर भी विचार करेंगे।

पर्यवेक्षण पर जताई गई सहमति

पर्यवेक्षण पर जताई गई सहमति

  • दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि इस समझौते में वास्तविक नियंत्रण रेखा के संदर्भ में सीमा संबंधी प्रश्न पर संबंधित स्थितियों का पूर्वाग्रह नहीं है।
  • दोनों पक्ष इस समझौते के तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा के इलाकों में सेनाओं की कमी और शांति के रखरखाव के लिए जरूरी प्रभावी उपायों और सुपरविजन यानी पर्यवेक्षण के रूप, विधि, पैमाने पर आपसी परामर्श से सहमत होंगे।
ज्‍वॉइन्‍ट वर्किंग ग्रुप पर दिया गया था जोर

ज्‍वॉइन्‍ट वर्किंग ग्रुप पर दिया गया था जोर

सीमा से जुड़े मसलों पर दोनों देशों की तरफ से एक ज्‍वॉइन्‍ट वर्किंग ग्रुप बनाया जाएगा जिसमें कूटनीति और सेना के विशेषज्ञ होंगे। इसका गठन भी आपसी परामर्श से होगा और इसे वर्तमान समझौते के तहत लागू किया जाएगा। ये विशेषज्ञ नियंत्रण रेखा के तय रूपरेखा पर दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान पर वर्किंग ग्रुप को सलाह देंगे और वास्तविक नियंत्रण रेखा के इलाकों में सैन्य बलों की कमी के दृष्टिकोण के साथ समस्‍याओं के निवारण से जुड़े मुद्दों पर भी अपनी सलाह देंगे।

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English summary
What was India China agreement signed on September 1993.
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