Inside story: 8:45 मिनट पर फोन कॉल, 2 घंटे की वीडियो कॉल, फिर 60 दिन बाद लद्दाख में पीछे हटी चीनी सेना
नई
दिल्ली।
भारत
और
चीन
के
बीच
पूर्वी
लद्दाख
में
जारी
टकराव
के
दो
माह
यानी
60
दिन
पूरे
होने
के
बाद
सोमवार
को
एक
अच्छी
खबर
आई
जब
गलवान
घाटी
समेत
कुछ
और
हिस्सों
से
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
जवानों
के
पीछे
हटने
की
खबरें
आईं।
पांच
मई
को
शुरू
हुआ
तनाव
कोर
कमांडर
स्तर
की
तीन
दौर
वार्ता
के
बाद
भी
कम
होता
नजर
नहीं
आ
रहा
था।
लेकिन
इसके
बाद
पहले
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
का
अचानक
लेह
दौरा
हुआ
और
राष्ट्रीय
सुरक्षा
सलाहकार
(एनएसए)
अजित
डोवाल
के
एक्टिव
हुए।
इंग्लिश
डेली
हिन्दुस्तान
टाइम्स
की
ओर
से
दी
गई
जानकारी
के
मुताबिक
इस
पूरे
घटनाक्रम
रविवार
को
करीब
8
बजकर
45
मिनट
पर
हुई
एक
फोन
कॉल
भी
बड़ा
रोल
है।
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डोवाल और वांग वाई के बीच हुई क्या बातचीत
पीएलए ने गलवान घाटी में तीन जगहों पर टकराव वाली जगह से अपने जवानों को हटाना शुरू कर दिया था। इसके अलावा फिंगर 4 पर से भी उसने कुछ ढांचों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। सोमवार शाम तक कुछ चीनी जवान वापस हो गए थे। फिंगर 4 और दूसरी जगहों पर भी यह प्रक्रिया थोड़ी धीमी थी। रविवार की सुबह करीब 8:45 मिनट पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की और उन्हें ताजा हालातों के बारे में जानकारी दी। इसके बाद एनएसए डोवाल और चीन के विदेश मंत्री वांग वाई के बीच वीडियो कॉल हुई। दो घंटे तक चली इस वीडियो कॉल में कई बिंदुओं पर दोनों सहमत नहीं थे। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसा को लेकर दोनों राजनयिकों में बहुत मतभेद थे। लेकिन कई बिंदुओं पर आम सहमति भी बनी।
पेट्रोलिंग का अधिकार बहाल हो
डोवाल ने वांग वाई को वीडियो कॉल में दो टूक कह दिया था कि चीन की तरफ से इंडियन आर्मी को पेट्रोलिंग करने से रोकने की कोशिशों को बंद करना होगा। इसके अलावा 1597 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अगर शांति और स्थिरता कायम करनी है तो चार जगहों से जवानों को हटाना होगा। विश्लेषकों की मानें तो डोवाल और वांग वाई के बीच जो बातचीत हुई है, उसने हालातों को सामान्य करने में बड़ी भूमिका अदा की है। इस बातचीत में पैंगोग त्सो के उत्तरी किनारों पर भारतीय जवानों की गश्त के अधिकार को फिर से बहाल करने पर चर्चा एक लिटमस टेस्ट की तरह थी, इसकी सफलता ही आगे आने वाली स्थितियों को बयां कर सकती है।
SR तंत्र हुआ फिर से एक्टिव
आर्मी ऑफिसर्स का कहना है कि गलवान घाटी, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स में तैनाती से चीनी सेना को कोई फायदा नहीं था। लेकिन पैंगोंग त्सो में चीनी सेना को बहुत बड़ा रणनीतिक फायदा था क्योंकि उन्होंने फिंगर 4 तक सड़क तैयार कर डाली थी। अधिकारियों का कहना है डिसइंगेजमेंट एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें दोनों तरफ से अभी समय लगेगा। हर प्वाइंट पर मिलिट्री कमांडर्स जमीनी स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। डोवाल और वाई के बीच रविवार को जो वार्ता हुई है वह स्पेशल रिप्रजेंटेटिवस (एसआर) मैकेनिज्म के तहत है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इस बात की पूरी जांच करनी होगी कि चीनी जवान किस तरह से वापस जा रहे हैं।
बफर जोन से पीछे गईं सेनाएं
सोमवार को जो खबरें आईं उसके मुताबिक सूत्रों की ओर से बताया गया है कि भारत और चीन दोनों की ही सेनाएं बफर जोन से एक किलोमीटर से ज्यादा पीछे हो गई हैं। गलवान घाटी में यह वही जगह है जहां पर 15 जून को भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प हिंसक हो गई थी। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। सूत्रों की मानें तो भारत ने भी गलवान में बफर जोन से अपने जवानों को पीछे करना शुरू कर दिया है। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनांए कई हिस्सों पर आमने-सामने हैं। बफर जोन एलएसी का वह हिस्सा है जो किसी प्रकार के टकराव को टालने के मकसद से बनाया गया है।