आज से WHO की मीटिंग, Coronavirus पर जांच की मांग कर रहे 62 देशों को भारत का समर्थन
नई दिल्ली। भारत ने कोरोना वायरस पर चीन को खुलेआम चुनौती दे डाली है। भारत ने उन 62 देशों के गठबंधन का समर्थन किया है जो इस बात की जांच करने की मांग कर रहे हैं कि आखिर कोरोना वायरस कहां से आया और कैसे यह इंसानों तक पहुंचा। इस सिलसिले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की भूमिका की जांच की बात की जा रही है। कई देशों का मानना है कि जब यह मामला सामने आ रहा था तो संगठन ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। 18 मई यानी सोमवार से डब्लूएचओ की मीटिंग शुरू हो रही है और इसी दौरान एक प्रस्ताव लाया जाएगा।
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पीएम मोदी ने कही थी पारदर्शिता की बात
भारत ने यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया की तरफ से इंक्वॉयरी की जाने की मांग को हरी झंडी दे दी है। यह पहली बार है जब भारत ने कोरोना वायरस महामारी पर कोई फैसला लिया है। दिसंबर 2019 में वायरस चीन के वुहान से निकला और अब तक तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। हालांकि मार्च में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 समिट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देशों को संबोधित किया था तो उस समय उन्होंने डब्लूएचओ में सुधार की बात कही थी। साथ ही पारदर्शिता और जिम्मेदारी लेने की जरूरत पर भी जोर दिया था।
WHO चीफ टेडरॉस भी घेरे में
आलोचना का केंद्र, चीन ने बाद में कहा था कि यह वायरस दुनिया में कहीं से भी आ सकता है। चीन के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने तो कई ऐसी खबरों को साझा किया था जिसमें षडयंत्र की बात कही गई थी। चीनी विदेश मंत्रालय ने इस बीच अमेरिका की सेना को कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया था। डब्लूएचओ और इसके मुखिया टेडरॉस एडहानोम गेब्रेसियस ने भी चीन के सुर में सुर मिलाए। इस वजह से संगठन को भी चीन के साथ महामारी का जिम्मेदार करार दिया गया। साल 2017 में ग्रेबेसियस का चुनाव डब्लूएचओ के मुखिया के तौर पर हुआ था। वह इथोपिया के पहले व्यक्ति हैं जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है और चीन ने उनका समर्थन किया था।
सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद बड़ा संकट
स्विट्जरलैंड के जेनेवा स्थित डब्लूएचओ के हेडक्वार्टर पर इस समय कई देशों के राजनयिक इकट्ठा हैं। बांग्लादेश, कनाडा, रूस, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका, टर्की और यूनाइटेड किंगडम और जापान समेत 62 देशों की तरफ से प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इस प्रस्ताव के तहत महामारी के फैलने पर पारदर्शिता और जिम्मेदारी तय करने की बात कही गई है। इस महामारी को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया का सबसे बड़ा संकट माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि ड्राफ्ट में कहीं भी चीन या फिर वुहान का जिक्र नहीं किया गया है। ड्राफ्ट में डब्लूएचओ मुखिया टेडरॉस से मांग की जा रही है कि वायरस किस जानवर से आया वह इसके जूनोटिक सोर्स और इंसान तक कैसे पहुंचा इसका पता लगाएं।
आज भारत को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
इन सबके बीच ही भारत को आज डब्लूएचओ में बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का ऐलान किया जा सकता है। आज शुरू होने वाली मीटिंग में भारत को डब्लूएचओ के एग्जिक्यूटिव बोर्ड में चेयरमैन के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। भारत को यह जिम्मेदारी ऐसे समय में दी जा रही है जब कोविड-19 महामारी में असफल रहने पर संगठन की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। भारत इस बोर्ड में जापान की जगह लेगा जो अपने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लेगा। एग्जिक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन की जिम्मेदारी भारत को दी जाएगी, इस बार पर पिछले वर्ष ही फैसला लिया गया था। उस समय डब्लूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया ग्रुप ने एक साथ तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए भारत के नाम को अपना समर्थन दिया था। इस ग्रुप की तरफ से भारत को रीजनल ग्रुप्स के एक साल के कार्यकाल के भी नामांकित किया गया था।