इमरान खान के एनएसए के दावे को भारत ने बताया काल्पनिक, जानिए क्या है मामला?
नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद यूसुफ के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि नई दिल्ली ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के कुछ संकेत दिए हैं। इस मामले पर जानकार लोगों ने बताया कि दोनों देश के बीच फिर से बातचीत शुरू करने के लिए न तो भारत ने सीधे पाकिस्तान से संपर्क किया है और न हीं किसी मध्यस्थ के जरिए ऐसी कोई कोशिश हुई है।
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दरअसल, पाक पीएम इमरान खान के NSA मोइद यूसुफ ने एक बयान में कहा था कि भारत ने पाकिस्तान से बातचीत करने की इच्छा जताई है, जिसे अब भारत ने काल्पनिक करार दे दिया है। अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करने पर नई दिल्ली का रूख पूरी तरह से साफ रहा है और यह शर्त है कि इस्लामाबाद को आंतक और हिंसा का वातावरण के खिलाफ अहम और ठोस कदम उठाना होगा।
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक नाम नहीं छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बातचीत की शुरूआत के लिए पाकिस्तान को सीमा पार संचालित होने वाली आंतकी शिविरों को खत्म करने और उसके क्षेत्र में सक्रिय सैकड़ों आतंकियों पर शिकंजा कसने की जरूरत होगी। उन्होंने आगे कहा कि बिना किसी अनुकूल वातावरण के अगर कोई भी यह सुझाव देता है कि भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है, तो फिर यह शरारत ही नहीं, बल्कि एक सपना भी है।
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अधिकारी ने कहा कि यह उतना ही अपमानजनक है, जितना उसी इंटरव्यू में साल 2014 में पेशावर में आर्मा स्कूल में हुए आतंकी हमले को भारत से लिंक किया जाना था। राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक नीति संयोजन पर इमरान खान के विेशेष सहायक मोइद यूसुप ने कहा था कि भारत ने पाक से बातचीत करने की इच्छा जताने के सा ही एक संदेश भेजा है, लेकिन विवरण देने से इनकार कर दिया।
हालांकि भारत के साथ बातचीत के लिए यूसुफ ने कई शर्तें रखी थी। इसके तह जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक कैदियों की रिहाई, कश्मीरियों को बातचीत में पार्टी बनाने, क्षेत्र में प्रतिबंधों को समाप्त करने, अधिवास कानून को रद्द करने ( जो गैर-कश्मीरियों को क्षेत्र में बसने की अनुमित देता है) और मानवाधिकार का हनन रोकना शामिल है। उन्होंने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन एक आंतरिक मामला नहीं, बल्कि य मामला संयुक्त राष्ट्र के अधीन आता है।
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वहीं, पाकिस्तान पर नजर ऱखने वालों का कहना है कि मोइद यूसुफ के दावे जमीन पर मौजूद तथ्यों पर आपत्ति जताने के लिए किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इमरान खान का सलाहकार बनन से पहले यूसुफ पाकिस्तानी सेना और इंटर-सर्विसेज इंटलिजेंस के साथ मिलकर काम कर चुके हैं। यूसुफ इससे पहले यूएस इंस्टीट्यूटज ऑफ पीस में थे, जहां पर उन्होंने भारत-पाक में शांति और कश्मीर मुद्दे के हल के हिमायती होने की अपनी छवि गढ़ी थी।
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