IBC-2018: पब्लिक सेक्टर बैंकों का निजीकरण किया जाए या विलय?
नई दिल्ली। इंडिया बैंकिंग कॉन्क्लेव 2018 में इकॉनमिस्ट रथिन रॉय ने कहा कि पब्लिक सेक्टर बैंकों को अगर प्राइवेट किया गया तो जो भी अच्छे काम पब्लिक सेक्टर बैंक कर रहे हैं, वे बंद हो जाएंगे। मिडिल क्लास को जो लाभ पब्लिक सेक्टर बैंकों से मिल रहे हैं, वे भी नहीं मिलेंगे।
रथिन रॉय ने प्राइवेटाइजेशन और मर्जर को खारिज करते हुए कहा कि सरकार के कार्यों को पूरा करने का टास्क पब्लिक सेक्टर बैंकों के पास है। ऐसे में एक तरीका तो यह है कि सरकार इन पब्लिक सेक्टर बैंकों के नुकसान की भरपाई करती रहे, टैक्सपेयर्स के पैसे से। दूसरा तरीका ये है कि प्राइवेटाइजेशन कर दो या मर्जर कर दो। इन दोनों कार्यों में सरकार को कुछ देना नहीं पड़ेगा। रथिन रॉय ने पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्राइवेटाइजेशन और मर्जर पर कहा कि यहां तीन प्रकार के हेयर कट की कोशिश हो रही है। स्मॉल हेयर कट, मीडियम हेयर कट और बिग हेयरकट।
रथिन रॉय ने कहा कि स्मॉल हेयर कट का मतलब प्राइवेटाइजेशन कर दो, मीडियम में मर्जर कर दो, वे तीसरे हेयर कट के बारे में बताते इससे पहले ही उनके बगल में बैठे बैंक ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन जी पद्मनाभन बीच में बोल पड़े। सरकार हैडशेक करना चाहती है। रथिन रॉय ने आगे कहा कि बैंकों से सरकार का दखल कम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां कोई हिंदी मूवी नहीं चल रही है कि सामाजिक कार्य भी कर लो और मुनाफा भी कमा लो।
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