आज भारत और नेपाल के बीच हाई लेवल मीटिंग, सीमा विवाद पर होगी चर्चा
काठमांडू। भारत और नेपाल के बीच जारी सीमा विवाद के बीच आज एक हाई-लेवल मीटिंग होने वाली है। दोनों देशों के बीच जारी तनाव के बीच यह पहली वार्ता है। इस वार्ता का आयोजन निगरानी तंत्र के तहत हो रहा है। इस सिस्टम की शुरुआत साल 2016 में हुई थी और इसका मकसद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय प्रोजेक्ट्स पर नजर रखना था। गौरतलब है कि शनिवार को नेपाल के प्रधानमंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी। इसके बाद ही आज इस वार्ता के आयोजित होने की खबरें आई हैं।
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नेपाली विदेश सचिव के साथ मीटिंग
भारत और नेपाल के बीच यूं तो सीमा विवाद पिछले वर्ष से ही जारी है लेकिन मई माह में इसमें नया मोड़ आ गया था। नवंबर 2019 में भारत ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था और इसमें कालापानी की स्थिति को लेकर नेपाल ने विरोध दर्ज कराया था। सोमवार को होने वाली वार्ता नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और नेपाली विदेश सचिव शंकरर दार बैरागी के बीच होगी। नेपाल के राजनीतिक हल्कों में तनाव के बीच इस इस वार्ता को एक सकारात्मक पहल के तौर पर देखा जा रहा है। जून माह में नेपाल की संसद ने नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी दी थी। इसमें लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को नेपाल ने अपने हिस्से में बताया है जबकि यह भारत के क्षेत्र में पड़ते हैं। भारत की तरफ से नेपाल के इस नए नक्शे को सिरे से खारिज कर दिया गया था।
मई से बिगड़े दोनों देशों के रिश्ते
भारत और नेपाल के बीच मई माह में उस समय विवाद पैदा हो गया था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए 78 किलोमीटर लंबे लिपुलेख पास का उद्घाटन किया था। ये रास्ता पिथौरागढ़ जिले में है और सड़क धारचूला को जोड़ती है।भारत और नेपाल का बॉर्डर साउथ एशिया में अकेला ऐसा बॉर्डर है जो खुला हुआ है। इसे अपने आप में एक मिसाल और अनोखी घटना करार दिया जाता है। लेकिन जैसे समीकरण पिछले कुछ समय से बन रहे हैं, उनकी वजह से हालात और मुश्किल हो गए हैं। इससे पहले विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यवाली ने एक इंटरव्यू में कहा था कि नेपाल और भारत के बीच जो भी सीमा विवाद हैं वो सिर्फ बातचीत के जरिए ही सुलझ सकते हैं।