LAC के निकट सड़क निर्माण को लेकर पूर्वी लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प!
नई दिल्ली। एलएसी के निकट भारत द्वारा एक सड़क निर्माण को लेकर पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक हिंसक झड़प होने की सूचना है। मई माह में शुरूआत में हुए इस झड़प में दोनों पक्षों में कई जवान घायल हुए हैं। दरअसल चीनी की ओर सैन्य टुकड़ी की तैनाती को देखते हुए भारत ने भी गतिरोध स्थल पर अपने बचाव को मजबूत किया था। सेना के मुताबिक अब वहां चीजें शांत हो गई हैं और पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जैसी स्थिति नहीं है।
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सूत्रों के अनुसार पंगोंग त्सो (झील) के उत्तर में भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण परियोजना पर चीनी आपत्ति जता रहे थे, जो कि गतिरोध का केंद्र बन चुकी है। सूत्रों ने कहा कि चीनी दावे से इतर निर्माणीधीन विवादित सड़क पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में थी। हालांकि हिंसक झड़प के बाद सड़क निर्माण को रोक दिया गया है, क्योंकि हिंसक झड़प के बाद क्षेत्र में तनाव बना हुआ है।
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एक सरकारी सूत्र ने कहा कि मामले पर भारत का रुख वैसा ही था कि जैसे चीनियों ने अपने नियंत्रण क्षेत्र में सड़क बनाई और हम जो कर सकते हैं, वैसा चीनियों ने हमारे साथ किया। घटनाक्रम की एक अन्य आधिकारिक ने नाम न छापने के शर्त पर कहा कि चीनी कुछ समय के लिए सड़क पर काम रोकने के लिए दबाव बढ़ा रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे निर्माण जारी रहा, झड़प के रूप में इसका परिणाम सामने आ गया।
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गौरतलब है वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब भारत द्वारा बुनियादी ढांचे के निर्माण के परिणामस्वरूप हालिया झड़प के केंद्र क्षेत्र के कई अन्य सड़क निर्माण कार्यों पर स्थानांतरित हो सकते है। यही नहीं, यह रस्साकसी भविष्य में कई बड़े झगड़े की वजह भी बन सकते हैं, क्योंकि भारत सुदूर क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ा रहा है।
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झगड़ा क्या है?
हाल ही में भारत द्वारा भारत-नेपाल-चीन त्रिभुज के निकट किया गया सड़क निर्माण पहले ही कूटनीतिक झगड़े में शामिल हो चुका है। भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने 17,000 फीट पर लिपुलेख दर्रे पर भारत के सड़क निर्माण का विरोध करने के लिए नेपाल को आगे बढ़ाने में चीन की भूमिका पर संकेत दिया था।
नेपाल को विरोध करने के लिए बीजिंग उकसा रहा थाः सेना प्रमुख
शुक्रवार को सेना प्रमुख ने कहा कि इसे मानने का एक कारण यह है कि उन्होंने इन समस्याओं को किसी और के इशारे पर उठाया होगा और इसकी बहुत अधिक संभावना है। हालांकि जनरल नरवने ने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका संकेत था कि नेपाल को विरोध करने के लिए बीजिंग उकसा रहा था।
गतिरोध स्थल पर चीन द्वारा किया गया सैन्य दल का निर्माण
5 मई को पूर्वी लद्दाख में दोनों सैन्य दल के बीच शुरू हुआ टकराव 6 मई की सुबह तक जारी रहा था। चूंकि अभी टकराव खत्म हो चुका है, लेकिन क्षेत्र में अभी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, क्योंकि रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि गतिरोध बिंदू के निकट चीन की ओर से बड़े पैमाने पर सेना के गठन किया गया था।
चीनी सैनिकों के पास गालवान घाटी में सीमा पर नियंत्रण के उपाय हैं
चीन से प्रकाशित ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि चीनी सैनिकों के पास गालवान घाटी में सीमा पर नियंत्रण के उपाय हैं जो युद्ध की स्थिति का सामना करते हैं। गतिरोध बिंदू पर दोनों ओर से एक बड़ी सैन्य बल तैनाती थी, लेकिन बाद में दोनों पीछे हट गए और अब पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो सेक्टर में चीनी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
विवादित क्षेत्रों और नए गतिरोध केंद्रों पर है भारतीय सेना का ध्यान
हाल ही में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच उत्तरी सिक्किम और पूर्वी लद्दाख में युद्ध भड़कने के बाद पूरे एलएसी भर में 23 विवादित और संवेदनशील स्थानों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिन्हें अब संवेदनशील माना जाता है।
नकु ला नॉर्थ सिक्किम में एक नए तरह का फ्लैशप्वाइंट हो सकता है
इनके अलावा नकु ला नॉर्थ सिक्किम में एक नए तरह का फ्लैशप्वाइंट हो सकता है, जो विवादित स्थल की सूची में शामिल नहीं हैं। वहीं, लद्दाख, उत्तरी और पूर्वी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों पर आमने-सामने की स्थिति है, जो कि बेहद असुरक्षित हैं और निकट भविष्य में फ्लैशप्वाइंट बन सकते हैं। यदि भारत द्वारा किया जाने वाला अवसंरचना निर्माण चीन को परेशान करता है, तो एलएसी पर ऐसे कई फ़्लैश पॉइंट्स हो सकते हैं, क्योंकि LAC के बिल्कुल करीब भारत द्वारा सड़क निर्माण और विकास कार्य किया जा रहा है।
बेहतर सड़क कनेक्टिविटी के कारण अब तक कई झड़पें हो चुकी हैं
एक अधिकारी ने कहा, हाल के दिनों में बेहतर सड़क कनेक्टिविटी के कारण ऐसे कई फेस-ऑफ अब तक हो चुके हैं। बेहतर रोड कनेक्टिवटी के चलते आज हमारे सैनिकों ने उन जगहों पर पहुंचना शुरू कर दिया है जो पहले पूरी तरह से कटे हुए थे, लेकिन अब अच्छी सड़कों के साथ इन जगहों पर पहुंचना और चीनी सैनिकों का आमना-सामना करना संभव हो गया है।
पैंगोंग त्सो के अलावा लद्दाख में अन्य स्थान भी बेहद संवेदनशील हो गए हैं
बेहद संवेदनशील पैंगोंग त्सो के अलावा हालिया तनातनी को देखते हुए लद्दाख में अन्य स्थान जैसे ट्रिग हाइट्स, डेमचोक और चुमार भी बेहद संवेदनशील हैं, जो भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र का निर्माण करते हैं।अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी कई अन्य संवदेनशील स्थान हैं जो पूर्वी क्षेत्र में आते हैं। वहीं, मध्य क्षेत्र में शामिल हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का हिस्सा भी एक बेहद संवेदनशील क्षेत्र है।
झड़पे व आक्रामक व्यवहार की घटनाएं एलएसी पर होती रहती हैंः सेना
पूर्वी लद्दाख में चीन की सैन्य टुकड़ियों की तैनाती से लगातार वहां तनाव बना हुआ है, जो गतिरोध बिंदु से ज्यादा दूर नहीं है, भारतीय सेना ने पहले एक बयान में कहा कि आमना-सामना और आक्रामक व्यवहार की घटनाएं एलएसी पर होती हैं। स्थानीय स्तर पर बातचीत और संवाद के बाद गश्त दलों में विघटन हो जाता है।
सीमा विवाद के कारण अस्थायी व छोटी अवधि की झड़पें होती रहती हैं
उन्होंने आगे कहा कि अस्थायी और छोटी अवधि के झड़प (फेस-ऑफ़) होते रहते हैं जब तक सीमा विवाद का हल नहीं होता है। सैनिकों ने प्रोटोकॉल के अनुसार घटनाओं को परस्पर रुप से हल कर लिया है। सेना ने यह भी कहा है कि पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो में कोई निरंतर गतिरोध नहीं है और क्षेत्र में सशस्त्र सैनिकों का कोई निर्माण नहीं है।
गर्मियों के महीनों में गतिरोध की की संभावना बढ़ जाती है
सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडर नियमित रूप से बात कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आगे किसी गतिरोध और तनाव में कोई वृद्धि न हो जा सके। हाल ही में हुई गतिरोध में वृद्धि से पहले विभिन्न क्षेत्रों में अन्य छोटी-छोटी गतिरोध उत्पन्न हुए थे, लेकिन उन मामलों का समाधान कर लिया गया। अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे बर्फ पिघलती है, गर्मियों के महीनों में गतिरोध की की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि दोनों तरफ गश्त की गतिविधियां बढ़ जाती हैं।